पहाड़ों में पांडव नृत्य की धूम, हर तीसरे साल होता है आयोजन
पहाड़ों में इनदिनों पांडव नृत्य की धूम है। कहीं पर पांडव नृत्य शुरू हो चुका है तो कहीं शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
देहरादून, जेएनएन। पहाड़ों में इन दिनों पांडव नृत्य की धूम मची हुई है। टिहरी के बमण गांव और उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में चल रहे पांडव नृत्य में ग्रामीण बढ़-चढ़कर प्रतिभाग कर रहे हैं। वहीं, रुद्रप्रयाग के तिलनी में 26 नवंबर से पांडव नृत्य शुरू हो रहा है। समिति पांडव नृत्य आयोजन की तैयारियों में जुट गई है।
नई टिहरी के नरेंद्रनगर प्रखंड के बमण गांव में पांडव नृत्य के पांचवें दिन झंडी पूजन का आयोजन किया गया। माना जाता है कि अर्जुन नागलोक पर विजय प्राप्त करने से पूर्व क्वलै चीड़ के पेड़ों से आशीर्वाद लेने आए थे। गांव में हर तीसरे साल पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है। पांडव नृत्य के अंतिम दिन लोग पांडवों से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
उधर, उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बिष्ट पट्टी अंतर्गत ग्राम पंचायत बमणती में पांडव नृत्य के आठवें दिन पांच पांडव अपने पश्वा पर अवतरित हुए। स्थानीय ग्रामीणों ने पांडव पश्वा के साथ जमकर नृत्य कर उनसे अपने परिवार और गांव की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। इस मौके पर ग्राम प्रधान बमणती विरेंद्र सिंह राणा, शूरवीर सिंह राणा, जगमोहन सिंह, रामलाल, प्रमोद राणा आदि मौजूद थे।
वहीं नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग के अंतर्गत तिलनी में 26 नवंबर से शुरू होने वाले पांडव नृत्य को लेकर समिति तैयारियों में जुट गई है। पांडव नृत्य समिति तिलनी के प्रचार-प्रसार अध्यक्ष रघुवीर सिंह कठैत ने बताया कि पांडव नृत्य 26 नवंबर से नौ दिसंबर तक चलेगा। 28 नवंबर को बाण गढ़ाई, 29 नवंबर को बाणों का कौथिग, पांच दिसंबर को गेंडा का कौथिग, छह दिसंबर को पांडवों का गंगा स्नान के साथ नगर भ्रमण, आठ दिसंबर को मोरी डाली कौथिग एवं नौ को पांडव नृत्य का समापन किया जाएगा। उन्होंने अधिक से अधिक भक्तों से पांडव नृत्य में पहुंचकर पुण्य अर्जित करने की अपील की है।
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