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    अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ गुलाम नबी का विरोध कांग्रेस का स्टैंड नहीं: प्रीतम सिंह

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    Updated: Tue, 06 Aug 2019 12:20 PM (IST)

    कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद के अनुच्छेद 370 हटाने से संबंधित विधेयक के विरोधी रुख को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राष्ट्रीय नेतृत्व का स्टैंड मानने से इन्कार किया।

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    अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ गुलाम नबी का विरोध कांग्रेस का स्टैंड नहीं: प्रीतम सिंह

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्यसभा में पारित जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 हटाने से संबंधित विधेयक को लेकर प्रदेश कांग्रेस टिप्पणी से बचने की कोशिश करती दिखी। राज्यसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के विधेयक के विरोधी रुख को भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का स्टैंड मानने से इन्कार कर दिया। 

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    उन्होंने इस मामले में पार्टी केंद्रीय नेतृत्व का जो भी स्टैंड होगा, प्रदेश संगठन उसके साथ रहेगा। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक व अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पारित होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह प्रतिक्रिया देते वक्त बचाव की मुद्रा में दिखाई दिए।

    उन्होंने कहा कि उक्त विधेयक का मसौदा उन्होंने देखा नहीं है। लिहाजा इस मामले में बगैर देखे व समझे, वह टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने, पाक अधिकृत कश्मीर पर केंद्र सरकार के रुख समेत विभिन्न विषयों पर अभी स्थिति साफ नहीं हो सकी है। 

    उन्होंने यह भी कहा कि उक्त विधेयक पर अभी कांग्रेस हाईकमान का स्टैंड सामने नहीं आ सका है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के विधेयक का पुरजोर विरोध किए जाने को उन्होंने पार्टी केंद्रीय नेतृत्व का स्टैंड नहीं माना है। 

    उन्होंने कहा कि उक्त मामले में केंद्रीय नेतृत्व जो भी तय करेगा, प्रदेश संगठन उस निर्णय के साथ खड़ा होगा। अनुच्छेद-370 को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक से भाजपा को मिलने वाले राजनीतिक फायदे के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में प्रीतम सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मसला बेहद संवेदनशील है। इस मामले में फैसला लेने में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए। 

    गौरतलब है कि सैनिक बहुल उत्तराखंड में कांग्रेस की परेशानी बढ़ने का यह दूसरा मौका है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के मौके पर कांग्रेस के घोषणापत्र में अफस्पा कानून को हटाने का वायदा शामिल होने पर प्रदेश में पार्टी ने इस पर चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा था।

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