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यहां मिलेंगे आपको मशरूम के बिस्कुट, एक बार खाएंगे तो स्वाद भूल न पाएंगे

पौड़ी जिले के पोखड़ा निवासी एक युवा ने मशरूम के बिस्कुट बनाए हैं। जिनका स्वाद लाजवाब है और आमदनी भी अच्छी हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 07 Dec 2018 04:27 PM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2018 08:34 PM (IST)
यहां मिलेंगे आपको मशरूम के बिस्कुट, एक बार खाएंगे तो स्वाद भूल न पाएंगे
यहां मिलेंगे आपको मशरूम के बिस्कुट, एक बार खाएंगे तो स्वाद भूल न पाएंगे

देहरादून, गणेश काला। प्रोटीन और विटामिन का प्रचुर स्रोत मशरूम अब आपके लंच और डिनर की मनपसंद डिश के साथ ही स्नेक्स के रूप में चाय की प्याली का हमजोली भी बनेगा। पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक स्थित ग्राम गडोली निवासी एक युवा ने मशरूम बिस्कुट बनाने की पहल की है। जो स्वाद में मंडुवे के बिस्कुट जैसे ही लाजवाब और सेहत के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद हैं। सुखद यह कि मशरूम बिस्कुट अब पहाड़ की कंदराओं से निकलकर महानगरों में भी लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। 

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मशरूम का प्रयोग आमतौर पर लजीज सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन, अब इसके स्वादिष्ट और कुरकुरे बिस्कुट भी लोगों को ललचाने लगे हैं। ऐसा संभव हो पाया गडोली के युवा वेदपाल के प्रयासों से। दरअसल, गडोली के उत्साही युवा और महिलाओं की टोली मशरूम का उत्पादन करती है। लेकिन, बाजार में खपत न होने से उनका ज्यादातर उत्पाद खराब होने लगा। ऐसे में उन्होंने हिम्मत हारने के बजाय इस मशरूम से अचार बनाना शुरू किया, जिसे लोग हाथोंहाथ उठाने लगे। 

इसके बाद उन्होंने प्रायोगिक रूप में मशरूम को सुखाकर उसके पाउडर से बिस्कुट बनाने का कार्य शुरू किया। यह प्रयोग इस कदर सफल रहा कि लोग इन कुरकुरे और लजीज बिस्कुट के दीवाने हो गए। अब तो महानगरों में भी मशरूम बिस्कुट मंडुवे के बिस्कुट की तरह पसंद किए जाने लगे हैं। 

ऐसे हुई शुरुआत 

गडोली निवासी वेदपाल बीकॉम करने के बाद दिल्ली में रेस्टोरेंट चलाने लगे। लेकिन, माटी की महक उन्हें हमेशा घर वापसी के लिए प्रेरित करती थी। आखिरकार दादा की एक आवाज पर वह इस साल की शुरुआत में सब-कुछ छोड़ गांव लौट आए और युवाओं व महिलाओं को साथ लेकर मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया। उत्पादन अधिक हुआ तो मार्केटिंग की व्यवस्था न होने से ज्यादातर मशरूम खराब होने लगा। ऐसे में उन्होंने मशरूम को सुखाकर उसके बिस्कुट बनाने का निर्णय किया। प्रयोग सफल रहा और आज युवाओं और महिलाओं की मेहनत कुलांचे भर रही है। 

शुरुआत में ही 60 से 70 हजार की आमदनी 

गांव के युवा समूह के रूप में बिस्कुट तैयार करते हैं। इस समूह में संतोष रावत, नीमा रावत, आरती रावत, पब्बी रावत, लता रावत, सुधा रावत, बबली रावत, आनंदी, सचिन चौहान, विद्याभूषण, देवेंद्र रावत व कुलदीप बिष्ट शामिल हैं। वेदपाल बताते हैं कि शुरुआती प्रयोग में ही समूह को 60 से 70 हजार की आमदनी हो चुकी है। धीरे-धीरे काम को बढ़ाया जा रहा है। साथ ही अन्य लोगों को भी समूह से जोड़ा जा रहा है। 

दिल्ली व देहरादून में भी जमाई धाक 

गडोली के युवाओं द्वारा तैयार मशरूम बिस्कुट की देहरादून के सरस मेले में जमकर खपत हुई। इसके अलावा दिल्ली में भी इन युवाओं के स्टॉल को खूब सराहना मिली। अब तो अन्य शहरों में भी इस समूह को स्टॉल लगाने के लिए बुलाया जाता है। 

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