Braille script: दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई के लिए ब्रेल लिपि सीख रहे हैं अभिभावक
दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए इसके लिए उनके शिक्षक और अभिभावक दोनों ही पूरी शिद्दत से जुटे हैं।
देहरादून, जेएनएन। दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए इसके लिए उनके शिक्षक और अभिभावक दोनों ही पूरी शिद्दत से जुटे हैं। दिव्यांग बच्चों के अभिभावक तो खुद ब्रेल लिपि सीखने के लिए भी तैयार हैं। अभिभावक इंटरनेट और यूट्यूब से सीख कर दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई में मदद कर रहे हैं।
लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई में आ रही बाधा को दूर करने के लिए राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआइईपीवीडी) ने कई प्रयास किए हैं। लेकिन इन दिव्यांग छात्रों के अभिभावक भी इस पूरी मुहिम में बड़ा किरदार निभा रहे हैं। सातवीं कक्षा की छात्र रिद्धि रॉय के पिता संजय कुमार देहरादून स्थित आइआरडीई में टेक्निशियन का काम करते हैं। रिद्धि जन्म से पूर्ण दृष्टिबाधित हैं। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली रिद्धि के सामने लॉकडाउन के चलते अपनी पढ़ाई चालू रखना एक बड़ी चुनौती बन गया, लेकिन रिद्धि के पिता ने तत्परता दिखाते हुए एनआइईपीवीडी के मॉर्डन स्कूल से संपर्क किया।
स्कूल से ऑनलाइन पढ़ाई का पूरा सिस्टम जानने के बाद रिद्दि के लिए नया आइ पैड लेकर आए। स्कूल द्वारा बताए गए एप डॉउनलोड करने के बाद रोजाना बेटी को क्लास से कनेक्ट करके भी देते हैं। संजय बताते हैं कि यूं तो बेटी को पढ़ाई में कोई समस्या नहीं आती। लेकिन ब्रेल लिपि से जुड़े जो काम शिक्षक के सामने होने पर आराम से हो सकते हैं उनमें जरूर बाधा आती है। संजय ने बताया कि इसके लिए उन्होंने यूट्यूब से ब्रेल लिपि से जुड़ी जानकारी जुटाना शुरू किया है। इससे बेटी की थोड़ी मदद हो जाती है।
वहीं, एनआइईपीवीडी के छठी कक्षा के छात्र विवेक त्रिपाठी के पिता डॉ. पीपी त्रिपाठी रुद्रपुर के एक कॉलेज में शिक्षक हैं। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि शुरुआत में वाट्सएप पर कक्षाएं चल रही थी तो समस्या हुई। जब से गूगल मीट पर क्लास चल रही है कक्षाएं आराम से हो रही हैं। बताया कि इसके लिए शिक्षकों के बच्चों और उनके अभिभावकों को विशेष ट्रेनिंग दी।
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मॉर्डन स्कूल एनआइईपीडी के प्रभारी प्रधानाचार्य अमित शर्मा ने बताया कि एनआइईपीवीडी के मॉर्डन स्कूल के 95 फीसद छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़ा जा चुका है। जो छात्र बाद में जुड़े हैं उन्हें वीडियो और ऑडियो के माध्यम से छूटी हुई पढ़ाई करवाई जा रही है। ऐसे छात्र जो बहुत गरीब हैं या दूरस्थ इलाकों में रहते हैं उन तक पहुंचना अब भी चुनौती बना है।
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