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दीपा मलिक बोली- लक्ष्य पाने में बाधा नहीं बन सकती दिव्यांगता, नाजिर हुसैन ड्राइव में कर रही हैं प्रतिभाग

पैरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता दीपा मलिक नाजिर हुसैन ड्राइव में प्रतिभाग करते हुए मसूरी पहुंची। इस दौरान दीपा मलिक ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि दिव्यांगता लक्ष्य पाने में बाधा नहीं बन सकती है। दृढ़ इच्छाशक्ति से मुकाम पाया जा सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 08:26 AM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 08:26 AM (IST)
भारत की पहली महिला पैरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता दीपा मलिक।

संवाद सहयोगी, मसूरी। भारत की पहली महिला पैरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता दीपा मलिक ने कहा कि लक्ष्य हासिल करने में दिव्यांगता व बढ़ती उम्र बाधा नहीं बन सकती है। आप में अगर दृढ़ इच्छाशक्ति है तो मेहनत से मुकाम पाया जा सकता है। दीपा मलिक ने कहा कि लोग मुझे खेलों के कारण जानते हैं, लेकिन मेरा मुख्य शौक ड्राइविंग रहा है। वर्तमान में मैं पैरा ओलिंपिक समिति की अध्यक्ष भी हूं।

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नाजिर हुसैन ड्राइव में प्रतिभाग करते हुए मसूरी पहुंची दीपा मलिक ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मैं दिव्यांग महिला खिलाड़ी हूं। मेरी सफलता की उड़ान को मेरी दिव्यांगता नहीं काट सकती। मैं मोटर स्पोट्र्स रैली में भाग लेने वाली पहली महिला हूं। मैंने हिमालयन कार रैली सहित अनेक रैलियों में प्रतिभाग किया है और वाहन चलाते हुए कई रिकार्ड बनाए हैं। कहा कि मेरे सपनों को उड़ान देने में राजन सयाल का बहुत सहयोग रहा है। दीपा मलिक ने बताया कि वर्तमान में मैं मोटर स्पोट्र्स की सक्रिय सदस्य हूं। उन्होंने कहा कि आज देश महिला सशक्तीकरण की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का भी सपना है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।

दीपा ने कहा कि ड्राइव का मार्ग बहुत अच्छा है और यहां की सड़कें भी अच्छी हैं। मसूरी कई बार आई हूं, लेकिन ड्राइव का रूट नया व रोमांचकारी है। उन्होंने कहा कि मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे युवा अधिकारियों को भी मैं संबोधित कर चुकी हूं। उन्होंने कहा कि 2012 में अर्जुन पुरस्कार मिला, 2016 में रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी। आगे भी विशेष करने की कोशिश जारी रहेगी।

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