पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने जैसे ही बांसुरी में सुर घोले, सभी मंत्रमुग्ध हो गए
पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने जैसे ही बांसुरी में सुर घोले तो पूरा वातावरण शांत हो गया। सभी मधुर एवं आत्मीय बांसुरी वादन में खो गए। लोगों का मौन स्पष्ट बयां कर रहा था कि पंडित चौरसिया को बांसुरी का जादूगर क्यों कहा जाता है।
देहरादून। पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने जैसे ही बांसुरी में सुर घोले तो पूरा वातावरण शांत हो गया। सभी मधुर एवं आत्मीय बांसुरी वादन में खो गए। लोगों का मौन स्पष्ट बयां कर रहा था कि पंडित चौरसिया को बांसुरी का जादूगर क्यों कहा जाता है। शाम रात में तब्दील हुई तो पंडितजी ने बांसुरी वादन तेज कर दिया। सबकुछ शांत, पर चहुंओर उल्लास की अनुभूति।
बीते रोज ओएनजीसी के सामुदायिक केंद्र में एक टेलीकॉम कंपनी की ओर से शास्त्रीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। विश्व विख्यात बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का श्रोता बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उनके मंच पर दस्तक देते ही श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका जोरदार इस्तकबाल किया। उन्होंने राग यमन और राग पहाड़ी से ऐसा समां बांधा कि रसिकजन मंत्रमुग्ध हो गए। बांसुरी से बरसते सुरों में पखावज की तान ने भी श्रोताओं को अपनी जगह से हटने नहीं दिया। राग यमन दो चरणों में उन्होंने प्रस्तुति किया। पहले पखावज और फिर तबले पर। इससे पहले रितेश और रजनीश मिश्रा (मिश्रा बंधु) ने विभिन्न रागों में शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी।
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