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    रुद्रप्रयाग के दरमोला गांव में पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग रहा आकर्षण का केंद्र

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 06:57 PM (IST)

    रुद्रप्रयाग के दरमोला गांव में पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। पहले दिन बाणों का कौथिग मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें भक्तों ने भगवान बदरी विशाल और शंकरनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। ग्रामीणों ने देवताओं को भोग लगाया और पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया। 26 नवंबर को प्रसाद वितरण के साथ पांडव नृत्य का समापन होगा।

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    रुद्रप्रयाग के भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में पांडव नृत्य में बाणों के साथ नृत्य करते पांडव पश्वा। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला में चल रहे पांडव नृत्य में पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य शुरू कर दिया है। पहले दिन बाणों का कौथिग लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा।

    इस अवसर पर दूर-दराज के क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने भगवान बदरी विशाल एवं शंकरनाथ देवता के साथ ही पांडवों का आशीर्वाद लिया। 26 नवंबर को प्रसाद वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन होगा।

    एक नवंबर एकादशी पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल गंगा स्नान के साथ भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में पांडव नृत्य का आयोजन शुरू हुआ था।

    गुरुवार को सुबह ग्रामीणों ने भगवान बदरी विशाल एवं अन्य देवताओं को पूरी प्रसाद एवं खीर का भोग लगाया। पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशानों की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती की।

    Pandav Dance

    इसके बाद पांडव पश्वों ने नृत्य करने वाले स्थान पांडव चौक के चारों कोने की पूजा-अर्चना की तथा ढोल सागर की ताल पर देवता नर रूप में अवतरित हुए।

    पुजारी के पांडवों को अस्त्र-शस्त्र देने के बाद ही पांडव पश्वों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य शुरू किया। पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, तरवाडी, स्वीली, सेम, डुंग्री, जवाड़ी, मेदनपुर, रौठिया समेत कई दूर-दराज क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंच रहे हैं।

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    पांडव नृत्य में बाणों कौथिग का नृत्य दो घंटे तक चलता रहा। अंत में बदरी विशाल को लगाए गए भोग को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। इससे पूर्व भक्तों ने भगवान बदरीनाथ एवं शंकरनाथ देवता को भेंट लगाकर आशीर्वाद लेकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना की।

    पांडव नृत्य समिति तरवाड़ी के अध्यक्ष विक्रम पंवार एवं कोषाध्यक्ष राजेन्द्र कप्रवान ने बताया कि गुरुवार से दरमोला में बाणों के साथ पांडवों ने नृत्य करना शुरू कर दिया है। इसके बाद अब पांडव पश्वा लगातार अपने अस्त्र शस्त्रों के साथ नृत्य करेंगे।

    बताया कि 24 को नौगरी का कौथिग, 25 नवंबर को गैंडे का कौथिग व सिरोता एवं 26 नवंबर को नारायण के फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा।

    इस अवसर पर पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी, समिति के पूर्व अध्यक्ष जसपाल सिंह पंवार, दान सिंह, त्रिलोक सिंह, नत्थी सिंह कप्रवान, मंगल सिंह पंवार, रमेश पंवार, कृष्णानंद डिमरी, लक्ष्मण पंवार उर्फ राजा, रविन्द्र पंवार, राजेन्द्र सिंह, विजय सिंह, बलवीर सिंह समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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