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    छोटी सरकार के चुनाव से गांवों में बिखरी रंगत, त्योहार जैसा माहौल

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    Updated: Thu, 03 Oct 2019 08:41 PM (IST)

    त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ही पंचायत चुनाव के चलते गांवों में खूब रंगत है। माहौल त्योहार जैसा है। काफी संख्या में प्रवासी इन दिनों अपने गांव पहुंच रहे हैं।

    छोटी सरकार के चुनाव से गांवों में बिखरी रंगत, त्योहार जैसा माहौल

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ही पंचायत चुनाव के चलते गांवों में खूब रंगत है। माहौल त्योहार जैसा है। काफी संख्या में प्रवासी इन दिनों न सिर्फ अपने गांव पहुंच रहे, बल्कि विकास से जुड़े सुझाव भी दे रहे हैं। प्रवासियों के आगमन से तमाम गांवों में घरों के बंद दरवाजे खुले हैं। कई लोग तो 'अपना वोट अपने गांव' में देने के इरादे से पहुंच चुके हैं, जबकि कइयों ने इसका वायदा किया है।' 

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    यह कहना है चमोली जिले के ग्राम नवना (आदिबदरी) के 73 वर्षीय शंभू प्रसाद नवानी का। वह कहते हैं कि पंचायत चुनाव के बहाने ही सही गांवों में रौनक तो नजर आ रही है। काश, यह रंगत ऐसी ही बनी रहे तो कितना अच्छा होगा।

    पलायन की मार से जूझ रहे प्रदेश के गांवों के लिए इस मर्तबा पंचायत चुनाव एक नई उम्मीद लेकर आए हैं। इस बार पंचायत चुनाव के लिए किए गए दो बच्चों के प्रावधान और शैक्षिक योग्यता की शर्त ने कई लोगों को पंचायत चुनाव के क्रम में गांव की ओर खींचा है। 

    असल में पलायन के चलते सैकड़ों गांवों में लोगों की संख्या अगुलियों में गिरने लायक रह गई है। गांवों में ज्यादा बुजुर्ग और महिलाएं ही हैं। ऐसे में पंचायत चुनावों ने प्रवासियों को जड़ों की ओर लौटने को प्रेरित किया है। यही कारण भी है कि बड़ी संख्या में प्रवासी न सिर्फ अपने गांव पहुंच रहे, बल्कि कई जगह तो वे चुनाव में भागीदारी भी कर रहे हैं। 

    कुछेक स्थानों पर तो ये बातें भी आई हैं जब पंचायत चुनाव के लिए कई प्रवासियों ने नौकरी तक छोड़ दी है। इस परिदृश्य के बीच इन दिनों गांवों में खूब रौनक दिख रही है। पौड़ी जिले के ग्राम लखचौरी निवासी पीडी बौड़ाई बताते हैं कि पंचायत चुनाव के लिए प्रवासियों के गांव पहुंचने से कई जगह बंद घरों के ताले खुले हैं। उनके गांव में भी ऐसी तस्वीर है। 

    शादी-ब्याह व पूजा के अवसरों पर घर आने वाले प्रवासी पंचायत चुनाव के मद्देनजर इस बार काफी संख्या में गांव पहुंचे हैं। कईयों ने अपना वोट अपने गांव में प्रयोग करने मकसद से जड़ों से जुड़ाव का संदेश देने का प्रयास किया है। बात चाहे जो भी हो, मगर पहाड़ के गांवों में इन दिनों पंचायत चुनाव के बहाने रंगत बिखरी है। 

    बड़े बुजुर्गों की जुबां पर ये बात है कि प्रवासियों की गांव के प्रति ऐसी भागीदारी निरंतर बनी रहे तो वे विकास में सक्रिय भागीदारी निभा सकेंगे। गांवों में पूरे माह रहेगी रौनक हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान तीन चरणों पांच अक्टूबर, 11 अक्टूबर व 16 अक्टूबर को होना है। 21 अक्टूबर से मतगणना होनी है। ऐसे में प्रवासियों के तब तक गांवों में डटे रहने रहने से पूरे इस पूरे माह रौनक बनी रहने के आसार हैं।

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