मिनिस्टीरियल संवर्ग को तहसीलदारों का दायित्व देने पर विरोध
उत्तराखंड भूलेख संवर्गीय कर्मचारी महासंघ ने राजस्व परिषद पर राजस्व अधिनियम समेत भूलेख नियमावली तहसीलदार व नायब तहसीलदार सेवा नियमावली की अनदेखी का आरोप लगाया है। महासंघ ने कहा कि लिपिकीय संवर्ग के वरिष्ठ/मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों को तहसीलदार व नायब तहसीलदार पदों का दायित्व सौंपा जा रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड भूलेख संवर्गीय कर्मचारी महासंघ ने राजस्व परिषद पर राजस्व अधिनियम समेत भूलेख नियमावली, तहसीलदार व नायब तहसीलदार सेवा नियमावली की अनदेखी का आरोप लगाया है। महासंघ ने कहा कि लिपिकीय संवर्ग के वरिष्ठ/मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों को तहसीलदार व नायब तहसीलदार पदों का दायित्व सौंपा जा रहा है। इसके विरोध में सभी जिला व तहसील मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन शुरू किया गया। वहीं, आदेश निरस्त न करने पर एक अप्रैल से बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी गई।
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सोमवार को जारी प्रेस बयान में महासंघ के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह कुमाईं ने कहा कि तहसीलदार/नायब तहसीलदारों के 80 फीसद पद रिक्त चल रहे हैं। इसके बाद भी भूलेख संवर्ग के कार्मिकों की डीपीसी नहीं की जा रही। दूसरी तरफ कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल संवर्ग के कार्मिकों को दायित्व सौंपे जा रहे हैं। इस तरह की गलत परंपरा शुरू कर राजस्व परिषद राजस्व कार्यों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। राजस्व परिषद ने मिनिस्टीरियल संवर्ग के कामिर्कों को तहसीलदार/नायब तहसीलदारों के पदों की जिम्मेदारी सौंपने संबंधी जो आदेश किया है, उसे तत्काल निरस्त किया जाए।
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