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    निजी चिकित्सकों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा दबाव, मरीज परेशान

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    Updated: Tue, 18 Jun 2019 04:30 PM (IST)

    प्राइवेट डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ गया। यहां सुबह से ही मरीजों की भारी भीड़ जुटने लगी थी।

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    निजी चिकित्सकों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा दबाव, मरीज परेशान

    देहरादून, जेएनएन। निजी चिकित्सकों की हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ गया। यहां सुबह से ही मरीजों की भारी भीड़ जुटने लगी थी। यह बात अलग है कि सरकारी डॉक्टरों के दो घंटे के कार्य बहिष्कार के कारण फजीहत मरीजों को यहां भी झेलनी पड़ी। हालांकि मरीजों को राहत देने के लिए बाद में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय और कोरोनेशन में ओपीडी का समय बढ़ा दिया गया। 

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    दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में डॉक्टरों के कहने पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा और डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने कुछ देर के लिए ओपीडी बंद कराई। 9:30 बजे से 10 बजे तक आधा घटे चिकित्सक ओपीडी से विरत रहे। इसके बाद उन्होंने काली पट्टी बाधकर काम किया। मरीजों की संख्या च्यादा देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने चिकित्सकों को 2:30 बजे तक ओपीडी में मरीज देखने के निर्देश दिए। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि शनिवार को अस्पताल की ओपीडी में 1300 मरीज आए थे, जबकि सोमवार को 1900 मरीज ओपीडी में आए।
    उधर, कोरोनेशन अस्पताल में भी कमोबेश स्थिति यही रही।
    कोरोनेशन के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि चिकित्सकों को निर्देशित किया गया था कि जब तक अंतिम मरीज को नहीं देख लेते वह ओपीडी नहीं छोड़ेंगे। शनिवार को 342 मरीज ओपीडी में आए थे, जबकि सोमवार को यह संख्या 611 पहुंच गई। निजी लैब में जांच भी ठप जनपद देहरादून की करीब 200 पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी लैब भी हड़ताल के कारण बंद रहीं। इन प्रयोगशालाओं में पुरानी रिपोर्ट तो दी गईं, पर न नए सैंपल लिए गए और न ही जाच हुईं। आहूजा पैथोलॉजी एंड इमेजिंग सेंटर के मालिक डॉ. आलोक आहूजा ने बताया कि पैरामैडिकल स्टाफ भी डॉक्टरों के परिवार का ही हिस्सा हैं। आए दिन अस्पतालों में घटनाओं का शिकार यह स्टाफ भी होता है। लिहाजा, लैब बंद रखने का निर्णय भी लिया गया था।
    एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन 
    एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टर से मारपीट के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन किया। इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सरकार को डॉक्टरों के लिए अनुकूल माहौल और सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। इस विरोध प्रदर्शन को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मेहता का भी समर्थन रहा। उन्होंने कहा कि रोगियों के समुचित उपचार के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए भयमुक्त माहौल सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। 
    मैक्स में भी बंद रही ओपीडी 
    डॉक्टरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में मैक्स अस्पताल कि ओपीडी सेवाएं भी बंद रहीं। इमरजेंसी और भर्ती मरीजों को सेवाएं मिलती रही। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि चिकित्सा बिरादरी के साथ होने वाली हिंसा का वह विरोध करते हैं। उनके आंदोलन में वह उनके साथ खड़े हैं।
    क्लेमेनटाउन निवासी प्रेम शर्मा ने बताया, मेरी थायराइड की जांच होनी थी। उसी के लिए आए थे। पर यहां आकर पता लगा कि हड़ताल है। अब जांच कब होगी इसका भी पता नहीं। 
    आइटी पार्क निवासी राहुल का कहना था कि मुझे हड़ताल की जानकारी नहीं थी। पिता जी की जांच कराने आया था। जांच आज होनी थी, लेकिन यहां आकर पता चला कि लैब बंद है।

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