Uttarakhand की आबादी सवा करोड़, हृदय रोग विशेषज्ञ सिर्फ एक; मरीजों की जान भगवान भरोसे
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ सवा करोड़ की आबादी के लिए केवल एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में ए ...और पढ़ें

सुकांत ममगाईं, जागरण देहरादून: प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य की सवा करोड़ की आबादी के लिए वर्तमान में सिर्फ एक हृदय रोग विशेषज्ञ तैनात हैं।
राजकीय मेडिकल कालेज देहरादून में ही एकमात्र हृदय रोग विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं। अन्य राजकीय मेडिकल कालेजों समेत किसी भी सरकारी अस्पताल में हृदय रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डाक्टर नहीं है।
प्रदेश में डाक्टरों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष एमबीबीएस डाक्टरों की पर्याप्त संख्या है, लेकिन विशेषज्ञ डाक्टरों के 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्रों से विशेषज्ञ डाक्टरों की सुविधा न होने से मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश समेत अन्य क्षेत्रों में आना पड़ता है।
प्रदेश की आबादी सवा करोड़ से अधिक है, लेकिन हृदय रोगियों की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों में से सिर्फ राजकीय मेडिकल कालेज देहरादून में काडियोलाजिस्ट तैनात है।
जिस कारण मरीजों को निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। दिक्कत इस बात की है कि पर्वतीय क्षेत्रों में निजी अस्पताल भी नहीं हैं। हृदय रोगियों को त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है, पर जिस तरह की स्थिति है उनकी जान भगवान भरोसे है।
छह लाख प्रतिमाह पर भी नहीं मिला कार्डियोलाजिस्ट
राज्य सरकार ने हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के लिए यू कोट-वी पे योजना के तहत प्रति माह छह लाख रुपये मानदेय देने की पेशकश की। इसके बाद भी कार्डियोलाजिस्ट नहीं मिले। दून मेडिकल कालेज में कैथ लैब स्थापित की गई। पर मरीजों का सारा भार एकमात्र कार्डियोलाजिस्ट पर है।
तमाम कोशिशों के बाद भी अन्य कोई कार्डियोलाजिस्ट नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह श्रीनगर मेडिकल कालेज में कैथ लैब बनकर तैयार है, पर कार्डियोलाजिस्ट नहीं है। हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी कैथ लैब स्थापित करने की तैयारी है, पर कार्डियोलाजिस्ट का इंतजाम कैसे होगा कह पाना मुश्किल है।
कार्डियोलाजिस्ट की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव है, जिस पर जल्द कोई निर्णय होगा। इसके अलावा पीपीपी मोड पर भी काम किया जा रहा है। जिसके तहत हब एंड स्पोक माडल के तहत मरीजों को सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही डिप्लोमा इन कार्डियोलाजी की भी सेवाएं ली जा रही हैं।राज्य सरकार अवस्थापना विकास पर भी काम कर रही है। जिसके तहत दून व श्रीनगर मेडिकल कालेज के बाद अब हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी कैथलैब स्थापित की जानी है।डा. आर राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव
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