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    जमुई का हेल्थ सिस्टम बीमार! ANM के भरोसे रेफरल अस्पताल, देवघर में रहते हैं चिकित्सक

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 02:36 PM (IST)

    बिहार के जमुई में रेफरल अस्पताल ANM के भरोसे चल रहे हैं, क्योंकि चिकित्सक देवघर में रहते हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है। बुनियादी सुविधा ...और पढ़ें

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    चकाई रेफरल अस्पताल। फोटो जागरम

    संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई)। विधायकी और प्रशासनिक स्तर के लाख कवायद के बावजूद चकाई रेफरल अस्पताल की व्यवस्था सुधर नहीं रही है। कर्तव्य निर्वहन के प्रति जिम्मेदार यहां उदासीन बने हुए हैं। इसकी बानगी रविवार को एक बार फिर देखने को मिली।

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    इमरजेंसी सेवा चालू थी, मगर यहां एएनएम ड्यूटी कर रही थीं, जबकि प्रतिनियुक्त चिकित्सक देवघर में आराम फरमा रहे थे। दरअसल, पेटरपहाड़ी पंचायत के कर्माटांड़ गांव की प्रसूता योगिया देवी को प्रसव के लिए उनके स्वजन अस्पताल लेकर सुबह 06:30 के करीब पहुंचे।

    यहां ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ. प्रतीक प्रिय अनुपस्थित थे। उनकी ड्यूटी सुबह 08:00 बजे से थी, पर वे 12:00 बजे के बाद तक अस्पताल से गायब थे। उनके बारे में बताया गया कि वह देवघर में हैं।

    12:30 के बाद वे अस्पताल पहुंचे। इस दौरान अस्पताल में मौजूद एएनएम और एक आयुष चिकित्सक द्वारा करीब 11:00 बजे महिला का प्रसव कराया गया।

    प्रसूता के साथ आए उनके ससुर शिक्षक दामोदर यादव ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात शिशु की तबियत बिगड़ने लगी। अस्पताल में कोई विशेषज्ञ के मौजूद नहीं रहने के कारण उसे रेफर कर दिया गया। इसके बाद प्रसूता और नवजात को बेहतर इलाज के लिए देवघर ले जाया गया।

    दामोदर यादव ने बताया कि प्रसव के पूर्व एएनएम द्वारा सौ रुपये की रिश्वत भी मांगी गई। पैसे लेने के बाद ही प्रसूता को भर्ती किया गया। इस बीच प्रसूता पीड़ा से कराहती रही। अस्पताल की व्यवस्था से आहत शिक्षक द्वारा मामले की सूचना प्रमुख को दी गई। प्रमुख के निर्देश पर उनके प्रतिनिधि अमीर दास अस्पताल पहुंचे तो इमरजेंसी वार्ड खुला था, बाकी पूरा अस्पताल के कमरों में ताला लगा था।

    प्रमुख प्रतिनिधि ने अस्पताल प्रभारी एसएसदास को कई बार फोन लगाया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। प्रमुख प्रतिनिधि ने बताया कि अस्पताल प्रभारी कभी भी किसी का काल रिसीव नहीं करते हैं। कई अन्य जिम्मेदार चिकित्सक व कर्मी भी इस दौरान अपनी ड्यूटी से गायब थे।

    अस्पताल प्रबंधक नवनीत कुमार ने बताया कि रविवार होने के कारण ओपीडी बंद था, लेकिन इमरजेंसी सेवा चालू थी। इमरजेंसी में चिकित्सक को मौजूद अवश्य रहना चाहिए।

    इधर, व्यवस्था से नाराज प्रमुख प्रतिनिधि ने मामले की जानकारी जिलाधिकारी को दी और पूरे मामले से अवगत कराया। प्रमुख प्रतिनिधि ने बताया कि जिलाधिकारी ने मामले में उचित जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

    प्रखंड प्रमुख ने वरीय अधिकारियों को लिखा पत्र

    मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रखंड प्रमुख उर्मिला देवी ने रेफरल अस्पताल की कुव्यवस्था को लेकर वरीय अधिकारियों को पत्र लिखकर व्यवस्था में सुधार की मांग की है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, जिलाधिकारी, सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा है कि रेफरल अस्पताल में अक्सर चिकित्सक अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं।

    सभी लोग देवघर में रहकर अपना-अपना क्लिनिक चलाते हैं। एक भी चिकित्सक समय पर अस्पताल नहीं आते हैं और न ही किसी का फोन रिसीव करते हैं। यह चकाई प्रखंड के मरीजों के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने अस्पताल में हो रही धांधली और मनमानी की जांच निगरानी से करने की मांग की है।

    दो साल की निधि को भी नहीं मिली थी पेट दर्द की दवा

    मालूम हो कि चकाई रेफरल अस्पताल अपनी कुव्यवस्था के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है। पिछले दिनों गादी गांव की दो वर्षीय मासूम निधि को रात में पेट दर्द होने पर अस्पताल उनके स्वजनों द्वारा लाया गया था, लेकिन उसे अस्पताल में पेट दर्द की दवा नहीं मिली थी।

    इसके बाद स्वजनों ने निजी चिकित्सक से इलाज कराया था, जिसके बाद बच्ची को राहत मिली थी। यह मामला भी अखबारों की सुर्खियों में आया था, बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ।