Updated: Sat, 27 Sep 2025 07:35 PM (IST)
उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की आनलाइन लेबर सेस मैनेजमेंट पोर्टल पहल देशभर में सराही जा रही है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इसे अन्य राज्यों में भी लागू करने की स्वीकृति दी है। उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्य उत्तराखंड के सहयोग से ऐसा ही पोर्टल विकसित कर रहे हैं। इस प्रणाली से राजस्व में वृद्धि हुई है और सेस प्रबंधन में पारदर्शिता आई है।
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। भवन समेत अन्य निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रम विभाग के अंतर्गत गठित उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की आनलाइन लेबर सेस मैनेजमेंट पोर्टल की पहल देशभर के लिए नजीर बनी है।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इसे अन्य राज्यों में भी माडल परियोजना के रूप में लागू करने को मान्यता दे दी है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडू व पंजाब जैसे राज्यों में उत्तराखंड के तकनीकी सहयोग से इसी तरह का पोर्टल विकसित किया जा रहा है।
इसके अलावा अन्य कई राज्यों ने भी उत्तराखंड से संपर्क साधा है। राज्य में विभिन्न निर्माण कार्य कराने वाली एजेंसियों, ठेकेदारों से भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड योजना की कुल लागत का एक प्रतिशत लेबर सेस के रूप में वसूलता है। इसका उपयोग श्रमिकों के कल्याणार्थ विभिन्न कार्यों में किया जाता है।
पूर्व में यह आफलाइन जमा होता था, लेकिन इसमें लेबर सेस की राशि के आकलन समेत कई मोर्चों पर गड़बड़ी की शिकायतें आती थीं। साथ ही विभागीय शिथिलता और प्रभावी समीक्षा की कमी अक्सर उजागर होती थीं। इस सबको देखते हुए बोर्ड ने नवाचार करते हुए यह प्रणाली पूरी तरह आनलाइन करने के दृष्टिगत पोर्टल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए।
2020-21 में इसके लिए प्रयास शुरू किए गए। अब आनलाइन लेबर सेस मैनेजमेंट पोर्टल पूरी तरह से लागू कर दिया गया है। एचडीएफसी बैंक के सीएसआर कार्यक्रम के माध्यम से यह डिजिटल प्लेटफार्म विकसित किया गया। इससे राजस्व में 60 प्रतिशत की वृद्धि एक वर्ष में दर्ज की गई तो 10 हजार से ज्यादा प्रतिष्ठानों का पंजीकरण भी हुआ। साथ ही सेस प्रबंधन में पारदर्शिता, कार्यकुशलता और जवाबदेही में सुधार हुआ है।
श्रमायुक्त पीसी दुम्का ने बताया कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इस पहल को अन्य राज्यों में लागू करने योग्य माडल परियोजना के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने बताया कि अब तक कई राज्यों ने इस सिलसिले में उत्तराखंड से संपर्क कर अपने यहां भी यह प्रणाली लागू करने की इच्छा जताई है। इसमें उत्तराखंड तकनीकी सहयोग देगा। इसी कड़ी में पंजाब, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में यह पोर्टल विकसित किया जा रहा है। शीघ्र ही अन्य राज्यों में भी इसी तरह कदम उठाए जाएंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।