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    उत्तराखंड में एकबार समाधान योजना लागू, जानिए इसके बारे में और आवेदन का तरीका

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Thu, 25 Mar 2021 08:13 AM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने घरों दुकानों के साथ ही कार्यालय अस्पताल लैब चाइल्ड केयर सेंटर नर्सरी स्कूल प्ले ग्रुप स्कूल से संबंधित अवैध निर्माण को वैध करने के मामले में बड़ी राहत दे दी है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद ओटीएस योजना 2021 की अधिसूचना जारी कर दी गई।

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    उत्तराखंड में एकबार समाधान योजना लागू, जानिए इसके बारे में और आवेदन का तरीका।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने घरों, दुकानों के साथ ही कार्यालय, अस्पताल, लैब, चाइल्ड केयर सेंटर, नर्सरी स्कूल, प्ले ग्रुप स्कूल से संबंधित अवैध निर्माण को वैध करने के मामले में बड़ी राहत दे दी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्देशों के बाद एक बार समाधान (ओटीएस) योजना 2021 की अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह अधिसूचना चार माह, यानी जुलाई तक प्रभावी रहेगी। एक बार समाधान योजना के तहत वर्ष 2012 के सर्किल रेट के आधार पर कंपाउंडिंग की जाएगी। इसमें भी फ्रंट, सेटबैक समेत अन्य कई मानकों में तमाम रियायतें दी गई हैं। 

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    एक बार समाधान योजना में सबसे बड़ी राहत यह दी गई है कि 2012 के सॢकल रेट के आधार पर कंपाउंडिंग की जाएगी। ऐसा पहली बार हुआ है जब आठ साल पुराने सर्किल रेट पर कंपाउंडिंग की जाएगी। योजना में एकल आवासीय एवं व्यवसायिक भवन, आवासीय-व्यवसायिक भू-उपयोग में दुकान, कार्यालय, आवासीय क्षेत्रों में नॄसग होम, क्लीनिक, ओपीडी, पैथोलाजी लैब, डायग्नोस्टिक सेंटर, चाइल्ड केयर सेंटर, नर्सरी स्कूल, क्रेच, प्ले ग्रुप स्कूल को शामिल किया गया है। 

    इसमें पर्वतीय क्षेत्र में 500 वर्ग मीटर तक और मैदानी क्षेत्र में 300 वर्ग मीटर तक के भूखंड में बगैर सेट बैक छोड़े गए निर्माणों को भी वैध किया जा सकेगा। पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र में 500 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंड में निर्माण पर 70 फीसद शमन शुल्क लिया जाएगा। इससे अधिक के क्षेत्रफल में शमन शुल्क 80 फीसद होगा। योजना में एकल दुकानों के अलावा छोटे भूखंड पर बने पैथोलाजी लैब, क्लीनिक, स्कूल आदि को मार्ग की चौड़ाई समेत अन्य कई मानकों में छूट दी गई है। एफएआर में भी 10 से बढ़ाकर 20 फीसद तक की छूट दी गई है। 

    ऐसे होगा आवेदन

    वन टाइम सेटलमेंट योजना 31 दिसंबर 2020 तक हुए निर्माणों के लिए लागू होगी। आवासीय भवन के लिए पर्वतीय क्षेत्र में ढाई हजार और मैदानी क्षेत्र में पांच हजार रुपये आवेदन शुल्क देना होगा। आवेदक को निर्माण से संबंधित कोई एक अभिलेख पानी, बिजली का बिल आदि प्रस्तुत करना होगा।

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