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    PM मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को आगे बढ़ा रहा ये परिवार, ऑनलाइन कारोबार से 20 गांवों में रोजगार

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sun, 04 Oct 2020 12:56 PM (IST)

    उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक में ग्राम हिमरोल निवासी प्रगतिशील किसान भरत सिंह राणा के परिवार ने इस अवधि में स्वरोजगार की अनूठी मिसाल पेश की। लॉकडाउन के दौरान जब वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप थी इस परिवार ने स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की।

    स्थानीय उत्पादों के ऑनलाइन कारोबार से 20 गांवों में रोजगार।

    उत्तरकाशी, तिलक चंद रमोला। कोरोना काल के कुछ ऐसे अनुभव भी हैं, जिनसे वर्तमान तो खुशहाल हुआ ही और भविष्य के लिए उम्मीदें भी जागी हैं। उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक में ग्राम हिमरोल निवासी प्रगतिशील किसान भरत सिंह राणा के परिवार ने इस अवधि में स्वरोजगार की अनूठी मिसाल पेश की। लॉकडाउन के दौरान जब वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप थी, तब इस परिवार ने वोकल फॉर लोकल थीम पर पार्सल के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की। नतीजा, वर्तमान में एक दर्जन से अधिक उत्पाद ऑनलाइन डिमांड पर पार्सल के जरिये विभिन्न राज्यों में पहुंच रहे हैं। राणा परिवार के इस उद्यम से जुड़कर गांव की दो दर्जन से अधिक महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को आगे बढ़ाते हुए किसान भरत सिंह राणा व उनके पुत्र जगमोहन सिंह राणा ने गांव में महिलाओं के तैयार किए उत्पादों को स्थानीय बाजार से लेकर ऑनलाइन बाजार में बेचना शुरू किया। जगमोहन बताते हैं कि ठोलिंयूका, कफनोल, दारसों, धारी, कलोगी, संगोली और पालूका समेत क्षेत्र के बीस गांवों में ग्रामीणों से स्थानीय उत्पाद खरीदकर उन्हें पार्सल के जरिये देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है।

    इन उत्पादों की उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में अच्छी-खासी डिमांड रहती है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गईं। ऐसे में उनके परिवार ने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने की योजना बनाई। इसके लिए विभिन्न राज्यों में पुराने खरीदारों से संपर्क कर अगस्त से पार्सल के माध्यम से उत्पादों की बिक्री शुरू की गई।

    जगमोहन बताते हैं कि वर्तमान में मुंबई के साथ ही जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु व कर्नाटक से हर्बल चाय, लाल चावल, राजमा, सेब की चटनी और चुल्लू के तेल की खासी डिमांड आ रही है। उनका कहना हैं कि ब्लॉक का दूरस्थ गांव होने के कारण हिमरोल में ऑनलाइन कनेक्टिविटी की समस्या है। ऐसे में पार्सल पर अधिक धनराशि खर्च होने के कारण उत्पादों की कीमत भी बढ़ जाती है। इसका असर व्यापार भी पड़ रहा है।

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    स्थानीय महिलाओं को रोजाना 300 रुपये की आमदनी

    प्रगतिशील किसान भरत सिंह बताते हैं कि हिमरोल समेत क्षेत्र के करीब 20 गांवों से स्थानीय उत्पाद खरीदकर लाए जाते हैं। यह कार्य गांव की महिलाएं करती हैं। ग्रेडिंग और पैकिंग समेत उत्पाद तैयार करने का कार्य भी महिलाओं के ही जिम्मे है। हिमरोल गांव की प्रेमा, कमा देवी, शिवानी और श्वेता बताती हैं कि इस कार्य से उन्हें हर रोज 300 रुपये की आय हो रही है।

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