Move to Jagran APP

अखरोट उत्पादन से पर्यावरण भी संवरेगा और किसानों की आर्थिकी भी, जानिए कैसे

उत्तराखंड में अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देकर सरकार भी महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। प्रदेशभर में साढ़े तीन से छह हजार फीट की ऊंचाई तक के क्षेत्रों में अखरोट की 15 ऐसी प्रजातियों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है जो तीन साल में ही फल देने लगती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 02:13 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 09:34 PM (IST)
उत्तराखंड में अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देकर सरकार भी महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। बदली परिस्थितियों में पारिस्थितिकी और आर्थिकी को साथ जोड़कर कार्य करने पर जोर दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तराखंड में अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देकर सरकार भी महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। प्रदेशभर में साढ़े तीन से छह हजार फीट की ऊंचाई तक के क्षेत्रों में अखरोट की 15 ऐसी प्रजातियों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है, जो तीन साल में ही फल देने लगती है। छठवें वर्ष से इनसे प्रति पेड़ 25 किलोग्राम से ज्यादा अखरोट की पैदावार मिलेगी।

loksabha election banner

अखरोट की इन प्रजातियों के लिए पौध की दिक्कत न हो, इसके लिए उद्यान महकमा टिहरी जिले के अंतर्गत मगरा में अखरोट का सेंटर आफ एक्सीलेंस तैयार करने जा रहा है। इसके अलावा जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जायका) की उत्तराखंड में चल रही वन संसाधन प्रबंधन परियोजना में भी अखरोट को आजीविका के बड़े स्रोत के तौर पर शामिल किया गया है। इन कोशिशों के फलीभूत होने पर उत्तराखंड भी निकट भविष्य में जम्मू-कश्मीर की भांति अखरोट उत्पादन के बड़े हब के रूप में उभरेगा।

अभी तक की तस्वीर देखें तो उत्तराखंड में अखरोट का उत्पादन नाममात्र का ही है, लेकिन यहां इसकी अपार संभावनाएं हैं। आकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो देश में अखरोट की 70 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा की डिमांड है, जबकि उत्पादन इससे कही कम है। देश में अखरोट उत्पादन में करीब 92 प्रतिशत की भागीदारी अकेले जम्मू-कश्मीर राज्य की है और यह वहां की आर्थिकी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस सबको देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी राज्य में अखरोट को आर्थिकी का बड़ा जरिया बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। अखरोट की पैदावार बढ़ाने को बड़े पैमाने पर इसके पौधों का रोपण किया जाएगा। इससे यहां का पर्यावरण भी संवरेगा और अखरोट उत्पादन अधिक होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। अब पारिस्थितिकी और आर्थिकी से जुड़े अखरोट उत्पादन के समग्र प्रयास प्रारंभ किए गए हैं।

इसी कड़ी में उद्यान महकमे ने जापान की फंडिंग एजेंसी जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जायका) से वित्त पोषित एकीकृत कृषि बागवानी योजना के तहत टिहरी जिले के अंतर्गत मगरा फार्म को अखरोट का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित करने की तैयारी कर ली है। वहां अखरोट की तमाम प्रजातियों को विकसित करने के साथ ही बड़े पैमाने पर अखरोट की पौध तैयार की जाएगी और फिर इसे प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोपण के लिए किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। यही नहीं, मगरा, मसूरी समेत प्रदेशभर में करीब एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर अखरोट की नर्सरियां स्थापित की जा रही हैं, ताकि किसानों को इसकी पौध के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े और इसकी क्वालिटी भी बेहतर हो।

इसके अलावा जायका के सहयोग से राज्य में चल रही वन संसाधन प्रबंधन परियोजना में भी अखरोट विकास कार्यक्रम को शामिल कर इसे आजीविका का बड़ा जरिया बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। इस क्रम में इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च की श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर) स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ  टेंपरेट हार्टिकल्चर (सीआइटीएच) से कश्मीरी अखरोट की पांच हजार पौध लाकर गत वर्ष किसानों को वितरित की गई हैं। साथ ही अखरोट की पौध उगाने की तकनीक भी सीआइटीएच से ली गई है, जिसके बूते विभिन्न स्थानों पर अखरोट की नर्सरियां तैयार की गई हैं।

असल में सीआइटीएच पर अखरोट पौध उत्पादन का बड़ा दबाव है। इसी के दृष्टिगत उससे पौध तैयार करने की तकनीक ली गई है। इससे विभिन्न नर्सरियों में अगले दो-तीन वर्षों में बड़ी संख्या में पौध आसानी से किसानों को मिल सकेगी। इससे जगह-जगह अखरोट के क्लस्टर विकसित हो सकेंगे। साफ है कि आने वाले दिनों में इन प्रयासों को धरातल पर आकार मिलने से उत्तराखंड भी अखरोट उत्पादन के क्षेत्र में सिरमौर बनकर उभरेगा।

बोले कृषि मंत्री

उत्तराखंड के कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक अखरोट उत्पादन की राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। पहाड़ के गांवों में काफी संख्या में अखरोट के पेड़ जरूर हैं, मगर अखरोट को लेकर व्यावसायिक सोच अभी तक विकसित नहीं हो पाई है। वह भी तब जबकि देश-दुनिया में पौष्टिकता से लबरेज अखरोट की अच्छी-खासी मांग है। इस सबको देखते हुए अखरोट उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण आर्थिकी भी मजबूत होगी। हमारा मकसद अखरोट उत्पादन के क्षेत्र में राज्य को अग्रणी बनाना है और इसके लिए सरकार पुरजोर प्रयास कर रही है।

यह भी पढ़ें: Wildlife week: वन्य जीवों के लिए स्वर्ग से कम नहीं उत्तराखंड, संरक्षण के लिए ये हैं आरक्षित क्षेत्र


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.