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कठघरे में प्रदेश की अफसरशाही, विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

उत्‍तराखंड में अफसरशाही व जनप्रतिनिधियों के रिश्ते बेहद सहज नहीं रहे हैं। अफसरशाही की कार्यशैली पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। विधायकों ने इस बार विस अध्यक्ष को पत्र लिखा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 02:40 PM (IST)
कठघरे में प्रदेश की अफसरशाही, विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में अफसरशाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विधायकों ने इस बार विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को पत्र लिखकर शासन व प्रशासन के अधिकारियों पर सहयोग न करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि विकास कार्य तो दूर, अधिकारी उनके फोन तक नहीं उठा रहे हैं। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सभी अधिकारियों को विधायकों के फोन उठाने और उनकी समस्याओं को सुनना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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प्रदेश में अफसरशाही व जनप्रतिनिधियों के रिश्ते बेहद सहज नहीं रहे हैं। अफसरशाही की कार्यशैली पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। सबसे ज्यादा शिकायत इस बात की रहती है कि अधिकारी फोन नहीं उठाते। अब मौजूदा सरकार में भी अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व व मुख्यमंत्री दरबार के बाद अब विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने गुहार लगाई है, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अधिकारियों से विधायकों के फोन उठाना सुनिश्चित करने को कहा है। इससे पहले वन पर्यावरण एवं कौशल विकास मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और महिला सशक्तिकरण राज्यमंत्री रेखा आर्य भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुकी हैं।

 

हरक ने उठाया सवाल, जताया फर्जीवाड़े का अंदेशा 

हाल ही में कौशल विकास मंत्री हरक सिंह रावत ने अफसरशाही को कड़ी फटकार लगाई थी। उनकी नाराजगी तब सामने आई, जब नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विभाग द्वारा जिला स्तर के एक अधिकारी को भेज दिया गया। वापस लौटकर आए हरक सिंह ने इस पर अधिकारियों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जिस जिला स्तर के अधिकारी को कार्यक्रम में भेजा गया उसे योजनाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी। ऐसे में उन्हें खुद सारी बात संभालनी पड़ी। वहीं, अन्य प्रदेशों से प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कौशल विकास के कार्यों में फर्जीवाड़े का अंदेशा भी जताया। 

पांडेय ने दिए एसआइटी जांच के आदेश 

 इससे कुछ समय पहले पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय द्वारा की गई विभागीय समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि विभाग में लंबे समय से विभागीय कार्यों की समीक्षा हुई ही नहीं है। इस दौरान आपदा राहत के लिए हुई खरीद में भारी अनियमितता की बातें भी सामने आईं। उन्होंने इस बात पर अचरज जताया कि वर्षों से प्रमुख सचिव का दायित्व देख रहे अधिकारी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। न ही उन्हें कोई जानकारी देने की जरूरत समझी गई। उन्होंने इस पर वर्ष 2016 से अब तक हुई खरीद के लिए एसआइटी जांच के निर्देश दिए। मंत्री की नाराजगी के  चलते ही कुछ समय पूर्व संबंधित प्रमुख सचिव से विभाग हटाया गया। 

राज्यमंत्री रेखा आर्य भी नाराज 

कुछ समय पूर्व राज्यमंत्री रेखा आर्य के साथ विभागीय प्रमुख सचिव के विवाद की बात सामने आई थी। आरोप ये थे कि विभागीय प्रमुख सचिव ने बिना मंत्री को विश्वास में लिए तबादले कर दिए थे। इस सूची को बाद में मंत्री  ने रुकवा दिया। यह तनातनी इतनी बढ़ी कि प्रमुख सचिव ने बैठकों में आना तक छोड़ दिया। यह मामला मुख्यमंत्री दरबार से लेकर मीडिया तक में सुर्खियां बना रहा। 

मुख्यमंत्री के सचिव से भी रही शिकायत

मौजूदा सरकार में कई विधायक मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से खासे नाराज नजर आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री दरबार में तक अपर मुख्य सचिव द्वारा फोन न उठाने की शिकायत की। यहां तक कि यह मामला भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी उठाया गया। 

पूर्व सरकारों के समय से ही उठते रहे हैं सवाल

राज्य गठन के बाद से ही हर सरकार में अफसरशाही को लेकर सवाल उठते रहे हैं। तिवारी सरकार की बात हो चाहे भुवन चंद्र खंडूडी सरकार की, दोनों ही सरकारों में मंत्रियों ने अफसरशाही के रवैये पर अपनी नाराजगी जताई थी। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने तो पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद अफसरशाही की कार्यशैली बदलने की बात कही थी। बहुगुणा सरकार में भी मंत्री अधिकारियों से नाराज रहे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों पर फाइलों को जलेबी की तरह घुमाने तक का आरोप लगाया था।

जगदीश चंद्र (सचिव विधानसभा) का कहना है कि विधायकों से मुलाकात न करना अथवा फोन न उठाना, विशेषाधिकार हनन का विषय है। सदन में यह मामला उठने पर विधानसभा अध्यक्ष, अफसरों को तलब करने के साथ ही सजा भी दे सकते हैं।

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