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    उत्‍तराखंड: अब शासन और राजभवन नहीं देंगे संबद्धता

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 28 Dec 2017 09:21 PM (IST)

    राज्य सरकार ने अहम फैसला लेते हुए पाठ्यक्रमों को दी जाने वाली अस्थायी संबद्धता देने या नहीं देने का अधिकार विश्वविद्यालय को ही सौंप दिया है। ...और पढ़ें

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    उत्‍तराखंड: अब शासन और राजभवन नहीं देंगे संबद्धता

    देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: राज्य में निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को पाठ्यक्रमों की संबद्धता के लिए अब शासन की चौखट पर ऐड़ियां नहीं घिसनी पड़ेंगी। राज्य सरकार ने अहम फैसला लेते हुए पाठ्यक्रमों को दी जाने वाली अस्थायी संबद्धता देने या नहीं देने का अधिकार विश्वविद्यालय को ही सौंप दिया है। विश्वविद्यालय कार्य परिषद का फैसला ही इस मामले में अंतिम होगा। इस संबंध उच्च शिक्षा अपर मुख्य सचिव डॉ रणबीर सिंह ने आदेश जारी किया है।

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    अभी तक निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को विभिन्न पाठ्यक्रमों की अस्थायी संबद्धता लेने के लिए पहले विश्वविद्यालय, बाद में शासन व राजभवन के दर पर दस्तक देनी पड़ती थी। राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल पिछली कई बैठकों में संबद्धता की प्रक्रिया को नियमों के मुताबिक संचालित करने के निर्देश दे चुके थे। 

    आखिरकार सरकार ने राजभवन के निर्देशों पर अमल कर ही दिया। अब पाठ्यक्रमों की संबद्धता के मसले पर सरकार और राजभवन का सीधा दखल खत्म किया गया है। गौरतलब है कि संबद्धता के मामले में राज्य सरकार व कुलाधिपति कार्यालय की ओर से उत्तरप्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 एवं श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 की धारा-37(2) व धारा-33(1) के मुताबिक कार्रवाई की जा रही थी।

    इन अधिनियमों में संबद्धता के मामले में उक्त दोनों का हस्तक्षेप रखा गया है। हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों की संबद्धता) विनियम, 2009 (यथासंशोधित) विनियम, 2012 की उपधारा-4.9 में अस्थायी संबद्धता के संबंध में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद को अधिकृत किया गया है।

    शासनादेश में कहा गया है कि संबद्धता संबंधी प्रक्रिया को छात्रहित व संस्थान हित में सरलीकृत करते हुए केंद्रीय अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उक्त प्रावधान को लागू किया गया है। इस प्रावधान के तहत अब विश्वविद्यालय संघ अथवा कार्यकारी परिषद ही संबद्धता प्रदान करने या नहीं करने के लिए अंतिम प्राधिकारी होगी। 

    सरकार के इस आदेश से गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के निजी और सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों को नए व पुराने पाठ्यक्रमों की अस्थायी संबद्धता के लिए शासन और राजभवन को पत्रावली नहीं भेजनी होगी। इससे राज्य के 400 से अधिक निजी शिक्षण संस्थाओं और उनमें अध्ययनरत हजारों छात्र-छात्राओं को संबद्धता मिलने में देरी को लेकर राहत मिलना तय है।

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