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    अब बिना शपथ पत्र के नहीं होगी जमीन की रजिस्ट्री Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 11 Oct 2019 09:09 AM (IST)

    प्रॉपर्टी डीलरों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन ने रजिस्ट्री के दौरान भूमि विक्रेता से शपथ पत्र प्राप्त करने की व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया गया है।

    अब बिना शपथ पत्र के नहीं होगी जमीन की रजिस्ट्री Dehradun News

    देहरादून, सुमन सेमवाल। दून को अनियोजित विकास की तरफ धकेल रहे प्रॉपर्टी डीलरों पर अंकुश लगाने की दिशा में जिला प्रशासन पहली दफा संजीदा नजर आ रहा है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) व मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के नियमों को धता बताने वाले प्रॉपर्टी डीलरों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन ने रजिस्ट्री के दौरान भूमि विक्रेता से शपथ पत्र प्राप्त करने की व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया गया है। 

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    इस शपथ पत्र में यह उल्लेख किया जाएगा कि वह जिस जमीन या उसके किसी भाग की बिक्री कर रहा है, वह 500 वर्गमीटर से कम है। मई 2017 से रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट प्रभावी हो जाने के बाद तत्कालीन आवास सचिव अमित नेगी ने यह व्यवस्था की थी, मगर कुछ दिन बाद भी उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

    हाल में ही जागरण ने दून में बढ़ रही अवैध प्लॉटिंग की संख्या पर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की थीं। इसके बाद एमडीडीए ने अपने स्तर से लोगों को सचेत करने के लिए अवैध प्लॉटिंग की सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी थी। वहीं, रेरा ने एक प्रकरण में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अवैध प्लॉटिंग व बिना रेरा पंजीकरण के बड़े भूखंड बेचने पर आपत्ति जताई थी। 

    जागरण ने इस प्रकरण को भी प्रमुखता से उठाया था। अब जिला प्रशासन ने न सिर्फ शपथ पत्र की व्यवस्था को अनिवार्य करा दिया है, बल्कि रेरा में लंबित वादों के मामले में रजिस्ट्री पर रोक लगाने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

    नौ खसरा नंबर की रजिस्ट्री पर लगी रोक

    हर्रावाला व मियांवाला की सीमा पर करीब 13.5 बीघा भूमि पर की जा रही अवैध प्लॉटिंग के मामले में सब रजिस्ट्रार कार्यालय ने जमीन के नौ खसरा नंबर (510, 511, 587, 588, 591, 593, 994, 996) की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है। हालांकि, इस रोक से पहले एमडीडीए से ले-आउट पास कराए बिना व बिना रेरा पंजीकरण के 10 प्लॉट की रजिस्ट्री कर ली गई थी। 

    इसी बात का संज्ञान लेते हुए 23 जुलाई 2019 को रेरा ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा था। जिसमें रेरा ने स्पष्ट किया था कि बिना ले-आउट पास व रेरा पंजीकरण वाले भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं कराई जानी चाहिए। इसके लिए रेरा ने संबंधित सब-रजिस्ट्रार को आवश्यक निर्देश जारी करने को भी कहा था। 

    यह बात और है कि प्रशासन में भी यह पत्र लंबे समय तक दबा रहा और जब जागरण ने अवैध प्लॉटिंग के प्रकरण उठाए तो अब जाकर सब रजिस्ट्रार कार्यालय को इससे अवगत कराया गया। इस क्रम में सब रजिस्ट्रार आरडी मिश्रा ने बताया कि रेरा में वाद से संबंधित सभी खसरा नंबर की रजिस्ट्री को रोक दिया गया है। रेरा के अगले आदेश के अनुरूप ही रजिस्ट्री को हरी झंडी दी जाएगी। 

    उधर, अवैध प्लॉटिंग का यह प्रकरण एमडीडीए में भी चल रहा है। एमडीडीए सचिव जीसी गुणवंत ने बताया कि एक बार प्लॉटिंग ध्वस्त करने के बाद भी प्रॉपर्टी डीलर दोबारा अवैध प्लॉटिंग करने लगे हैं। लिहाजा, दोबारा से ध्वस्तीकरण आदेश जारी कर तीन दिन के भी पूरी प्लॉटिंग को ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा फील्ड स्टाफ को अवैध प्लॉटिंग के प्रकरणों पर निगरानी रखने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

    यह हैं प्लॉटिंग पर रेरा के नियम

    - 500 वर्गमीटर से अधिक के भूखंड को प्लॉटिंग कर बेचने के लिए रेरा में पंजीकरण कराना जरूरी।

    - रेरा में पंजीकरण के लिए विकास प्राधिकरण से ले-आउट पास कराना जरूरी।

    - दोनों स्तर पर नियम पूरे करने के बाद भूखंड खरीदारों का हक हो जाएगा सुनिश्चित।

    - स्वीकृत ले-आउट से इतर सुविधाएं मिलने पर खरीदार दायर कर सकते हैं वाद।

    - स्वीकृत ले-आउट में पर्याप्त चौड़ाई की सड़क, ग्रीन एरिया, जल निकासी के इंतजाम आदि की मिलती है गारंटी।

    झूठा शपथ पत्र देने पर होगा मुकदमा

    शपथ पत्र की अनिवार्य व्यवस्था के बाद अब प्रॉपर्टी डीलर झूठ नहीं बोल पाएंगे। क्योंकि झूठ पकड़े जाने पर संबंधित के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही प्रॉपर्टी डीलर बिना ले-आउट पास कराए बिना भूखंड बेचने से परहेज करने लगेंगे।

    वित्त विभाग से नहीं मिल पाता सहयोग

    देखा जाए तो अवैध प्लॉटिंग पर तब तक पूरी तरह अंकुश लग पाना संभव नहीं, जब तक वित्त विभाग इसमें सहयोग न करे। क्योंकि जब तक अवैध प्लॉटिंग के प्रकरणों में एमडीडीए व रेरा सुनवाई करता है, तब तक प्रॉपर्टी डीलर प्लॉट बेच चुके होते हैं। इसके बाद बिना उचित विकास कार्यों के की गई प्लॉटिंग व उसका खर्च भवन बनाने वाले लोगों के सिर आ जाता है।

    सीधी बात है कि जब तक अवैध प्लॉटिंग वाले मामलों में रजिस्ट्री पर रोक नहीं लगा दी जाती, तब तक दून का सुनियोजित विकास संभव ही नहीं है। अवैध प्लॉटिंग के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभिन्न बैठकों में एमडीडीए अधिकारी वित्त विभाग से सहयोग मांगते रहे हैं। मगर, वित्त विभाग की भूमि हमेशा रजिस्ट्री करने और उससे अपने राजस्व में बढ़ोत्तरी करने तक सीमित रही है। बेशक राजस्व के लिए अधिक से अधिक रजिस्ट्री होनी चाहिए, लेकिन शहर व यहां के लोगों की सुविधा की कीमत पर नहीं। अवैध प्लॉटिंग के ताजा प्रकरण में भी जिला प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी तब याद आई जब रेरा को कड़ा पत्र लिखना पड़ा। 

    एमडीडीए और रेरा को मिलेगा पूरा सहयोग 

    अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल के अनुसार, अवैध प्लॉटिंग पर एमडीडीए व रेरा को पूरा सहयोग किया जाएगा। जिलाधिकारी के माध्यम से जैसे ही रेरा का पत्र प्राप्त हुआ, उस पर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। आगे भी शहर के हित में समन्वय बनाकर काम किया जाएगा।

    रेरा देगी हाउसिंग सोसायटी को निर्माण की कमान

    हरिद्वार जिले के रुड़की में नीसू कंस्ट्रक्शन की आवासीय परियोजना के निर्माण में लगातार हो रहे विलंब व लंबे समय से निर्माण कार्य बंद होने के चलते रेरा बिल्डर से निर्माण का अधिकार छीन सकती है। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बिल्डर को चेतावनी जारी की है कि यदि एक सप्ताह के भीतर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो हाउसिंग सोसायटी को निर्माण शुरू करने के लिए आमंत्रित कर दिया जाए। 

    नीसू कंस्ट्रक्शन की रुड़की में दो परियोजनाओं (नीसू हेरिटेज एवेन्यू व ग्रीन एक्सटेंशन) का निर्माण लंबे समय से अटका है। स्थिति यह है कि वर्ष 2012 में नक्शा पास कराने के बाद भी निर्माण पूरा न होने पर वर्ष 2017 में दोनों परियोजना का नक्शा अवधि पूरी होने पर निरस्त कर दिया गया। रेरा के प्रयास से नीसू हेरिटेज एवेन्यू का नक्शा पास कर दिया गया है, मगर कंपनी इसके चार लाख रुपये का भुगतान करने को तैयार नहीं है।

    रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि नक्शा जुलाई माह में पास कर दिया गया था, मगर परियोजना कंपनी इसे रिलीज कराने के लिए अल्प राशि का भी भुगतान नहीं कर पा रही है। यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है कि अकेले इस परियोजना में ही अभी 10 करोड़ रुपये का काम शेष है। 

    वहीं, दूसरी परियोजना में करीब चार करोड़ रुपये का काम बचा है। ऐसे में कंपनी निर्माण शुरू करने को लेकर लगातार टालमटोल कर रही है। दोनों परियोजना में करीब 400 फ्लैट बनाए जाने हैं। बड़े स्तर पर निवेशकों के हित कंपनी की लापरवाही से प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि 110 से अधिक शिकायतें अब तक आ चुकी हैं। जिनको लेकर बिल्डर न तो निर्माण शुरू कर रहा है, न ही लोगों का पैसा वापस किया जा रहा है।

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    पहले बिल्डर कंपनी ने नवरात्र में निर्माण शुरू कराने का भरोसा दिलाया था। इसके बाद भी जब काम शुरू नहीं किया गया तो बिल्डर को अंतिम अवसर दिया गया है। इसके बाद हाउसिंग सोसायटी को आमंत्रित कर उनसे प्रस्ताव प्राप्त किया जाएगा। इसके बाद सरकार की अनुमति से सोसायटी को निर्माण की अनुमति दे दी जाएगी।

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