अब गर्भवती महिला और बच्चे को लगेगा टीडी का टीका, जानिए इसके बारे में
अब गर्भवती महिला और बच्चे को लगने वाले टीटी टीके के स्थान पर अब टीडी का टीका लगाया जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में गर्भवती महिला और बच्चे को लगने वाले टीटी (टिटनेस टॉक्साइट) टीके के स्थान पर अब टीडी (टिटनेस और डिप्थीरिया) का टीका लगाया जाएगा। यह परिवर्तन टीकाकरण के लिए गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह की सलाह के बाद किया गया है।
टीकाकरण कार्यक्रम की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि अब गर्भावस्था के दौरान और बच्चों को टिटनेस के साथ ही डिप्थीरिया का टीका लगाया जाएगा। टिटनेस एक तीव्र संक्रामक रोग है और इसकी गहन देखभाल होने के बावजूद भी मृत्यु दर काफी उच्च है। टिटनेस किसी भी उम्र में हो सकता है। चिकित्सकीय उपचार न मिलने के कारण मृत्यु दर 100 फीसद तक पहुंच जाती है। टिटनेस के कारण होने वाली मृत्यु दर में 80 फीसद की गिरावट हुई है, लेकिन डिप्थीरिया का प्रकोप बढ़ रहा है।
टीडी है सुरक्षित
टिटनेस और डिप्थीरिया (टीडी) एक सुरक्षित टीका है और वर्तमान में विश्व के 133 देशों में इसका उपयोग हो रहा है। यह टीका टिटनेस और डिप्थीरिया बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। अगर यह टीका न लगा हो तो टिटनेस और डिप्थीरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति की उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का कारण बनने की स्थिति सामने आ सकती है।
गर्भावस्था में प्रदान करेगा सुरक्षा
गर्भावस्था के दौरान टीटी के बदले टीडी का टीकाकरण प्रसूता और नवजात शिशु को टिटनेस और डिप्थीरिया से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बेहद आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान यह टीका, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है, जिन्हें सभी बूस्टर खुराक पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हुई हैं। टिटनेस से सुरक्षा के साथ-साथ टीडी, डिप्थीरिया के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, और डिप्थीरिया के आउटब्रेक को घटाता है।
चरणबद्ध तरीके से होगा काम
टीडी टीकाकरण के लिए राज्य में चरणबद्ध कार्ययोजना अमल में लाई जाएगी। इसके तहत 10 और 16 साल यानि 5वीं कक्षा और 10 से 11वीं कक्षा के बच्चों को कवर किया जाएगा। इसके साथ-साथ एएनएम नियमित टीकाकरण के दौरान टीटी के स्थान पर टीडी के टीके के बारे में जागरुकता प्रदान करेगा।
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