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श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में अब पीएचडी-एमफिल का पाठ्यक्रम भी

आगामी सत्र में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में पीएचडी और एमफिल जैसे पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसके लिए विवि ने समिति गठित कर दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 12:39 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 12:39 PM (IST)
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में अब पीएचडी-एमफिल का पाठ्यक्रम भी
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में अब पीएचडी-एमफिल का पाठ्यक्रम भी

देहरादून, जेएनएन। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में आगामी सत्र में पीएचडी और एमफिल जैसे पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसके लिए विवि ने समिति गठित कर दी है। पीएचडी परीक्षा संपन्न करवाने और पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी प्रो. जेएस रजवार और प्रो. एचसी नैनवाल को दी गई। 

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गुरुवार को दून विवि स्थिति श्रीदेव सुमन विवि के कैंप कार्यालय में श्रीदेव सुमन विवि की चौथी शैक्षिक परिषद की बैठक आयोजित की गई। कुलपति डॉ. यूएस रावत ने शैक्षिक परिषद को स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों के पाठ्यक्रम में सुधार कर अंतिम रूप देने के आदेश दिए। वहीं, राज्य में फिल्म उद्योग के महत्व को देखते सत्र 2019-20 से फिल्म एंड प्रोडक्शन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया। बैठक में विवि के कुलसचिव डॉ. दीपक कुमार, दिनेश चंद्रा, एसडी नौटियाल, कुलदीप सिंह, डॉ. डीसी नैनवाल, डॉ. केएल मालगुडी, प्रो. जीएस रजवार, प्रो. अंजु अग्रवाल, प्रो. केएल बिष्ट, प्रो. जेए घिल्डियाल आदि उपस्थित रहे। 

बीएड के छात्रों को दी राहत 

वर्ष 2017 में प्रबंधन कोटे के जिन छात्रों ने बिना ऑनलाइन फार्म भरे बीएड की परीक्षा दी थी, उन्हें राहत दे दी गई है। कुलसचिव डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि क्योंकि गलती छात्रों की नहीं थी, इसलिए इन छात्रों को दूसरा मौका दिया गया है। ऐसे सभी छात्रों को पहले विधिवत 180 दिन की पढ़ाई पूरी करनी होगी, उसके बाद इन छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। जिस संस्थान की यह चूक थी, उससे अर्थ दंड वसूला जाएगा। 

एनआइवीएच में सेमेस्टर सिस्टम खत्म 

एनआइवीएच में श्रीदेव सुमन विवि से मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों से सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। यहां विशेष बीएड, एमएड और रिहैबिलिटेशन मनोविज्ञान में पीजी पाठ्यक्रमों में अब तक सेमेस्टर सिस्टम लागू था। कुलपति डॉ. यूएस रावत ने बताया कि छात्रों की सुविधा और अन्य तकनीकि कारणों से यह निर्णय लिया गया।

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