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    Uttarakhand News: जंगल में रोपे जाने वाले एक-एक पौधे पर अब रहेगी नजर, सेटेलाइट से होगी मॉनिटरिंग

    Updated: Wed, 14 May 2025 10:32 AM (IST)

    रोपित 100 पौधों में से 75 के जीवित रहने को आदर्श स्थिति माना जाता है लेकिन इस तक पहुंचना चुनौती बना हुआ है। यद्यपि इसके पीछे प्राकृतिक आपदा आग जैसे कारण गिनाए जाते हैं लेकिन इनके बूते विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता। इस सबको देखते हुए अब पौधारोपण की मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।

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    जंगल में रोपे जाने वाले पौधों की होगी मॉनिटरिंग। जागरण

    केदार दत्त, जागरण, देहरादून। जंगल में मोर नाचा किसने देखा, वन क्षेत्रों में होने वाले पौधारोपण के मामले में अभी तक यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। राज्य के जंगलों में हर साल औसतन एक करोड़ से अधिक पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन इनमें से जीवित कितने रहते हैं, इसे लेकर हमेशा ही प्रश्न उठते आए हैं। इस सबको देखते हुए अब जंगल में रोपे जाने वाले एक-एक पौधे की निगरानी का निर्णय लिया गया है।

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    इसके लिए वन क्षेत्रों में सेटेलाइट आधारित मॉनिटरिंग शुरू की गई है। साथ ही ड्रोन का उपयोग भी किया जा रहा है। यही नहीं, जंगल में पौधारोपण करने के बाद क्षेत्रफल, रोपित प्रजातियां व पौधों की संख्या से संबंधित जानकारी भी इस बार से आनलाइन की जाएगी।

    71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनाच्छादित क्षेत्र 45.44 प्रतिशत के आसपास ही सिमटा हुआ है। यदि पिछले 24 वर्षों में किए गए पौधारोपण की स्थिति बेहतर होती तो वनाच्छादित क्षेत्र में बढ़ोतरी होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे साफ है कि रोपित किए जाने वाले पौधों के जीवित रहने की दर बेहतर नहीं है।

    जंगलों में पौधारोपण। जागरण


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    इसी कड़ी में जंगलों में पौधारोपण की सेटेलाइट आधारित मॉनिटरिंग शुरू की गई है। मुख्य वन संरक्षक अनुश्रवण एवं मूल्यांकन राहुल के अनुसार जिन क्षेत्रों में पिछले वर्षाकाल में पौधारोपण हुआ, उनका जीपीएस व जीआइएस आधारित आंकड़ा लिया गया। फिर सेटेलाइट के माध्यम से उस क्षेत्र की वर्ष 2023 की तस्वीरें प्राप्त की गई और उसे वर्तमान की तस्वीर में रखा जा रहा है।

    सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर विश्लेषण किया जा रहा है। यह क्रम निरंतर चलता रहेगा। यही नहीं, दुर्गम क्षेत्रों में हुए पौधारोपण की ड्रोन के माध्यम से तस्वीरें ली जा रही हैं। इससे पौधारोपण की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। एक-एक पौधे की स्थिति का पता चलेगा। यदि कहीं कोई कमी है या अन्य कोई दिक्कत है तो उसे तुरंत दूर कराया जाएगा।

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    पौधारोपण को बेहद गंभीरता से लेने के निर्देश विभाग को दिए गए हैं। इसमें तकनीकी का उपयोग करने को कहा गया है। इसी क्रम में सेटेलाइट आधारित मानीटरिंग के अलावा ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। जंगलों में जितने भी पौधे रोपे जाएंगे, उनकी संख्या, प्रजाति व क्षेत्र का ब्योरा आनलाइन करने को कहा गया है। -सुबोध उनियाल, वन मंत्री।