Golden Card Treatment: गोल्डन कार्ड धारकों के उपचार की राह तलाश रही सरकार, इन पहलुओं पर हो रहा विचार
उत्तराखंड सरकार गोल्डन कार्ड धारकों के उपचार में आ रही समस्याओं का समाधान ढूंढ रही है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में मास्टर पैकेज अंशदान में वृद्धि और अस्पतालों द्वारा अनुचित लाभ पर अंकुश लगाने जैसे सुझावों पर विचार किया गया। सरकार गोल्डन कार्ड (Golden Card) योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। राज्य सरकार गोल्डन कार्ड धारकों के उपचार में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को दूर करने की दिशा में कदम उठा रही है। इस कड़ी में स्वास्थ्य विभाग योजना के सुचारू संचालन को मास्टर पैकेज, अंशदान में बढ़ोतरी, अस्पतालों द्वारा अनुचित लाभ लेने की प्रवृति पर अंकुश लगाने और जनौषधि केंद्रों से दवा वितरण के सुझावों पर कार्य कर रहा है।
राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड के जरिये असीमित कैशलेस उपचार की सुविधा दी है। इसके लिए कर्मचारियों के वेतन से एक निर्धारित अंशदान लिया जाता है। इस योजना में इस वर्ष विभाग को कर्मचारियों के अंशदान के रूप में 150 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि लाभार्थियों के उपचार में 335 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
इस कारण इस समय सरकार को योजना से संबद्ध किए गए निजी व सरकारी अस्पतालों का 185 करोड़ का भुगतान करना है। भुगतान न होने के कारण कई अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड धारकों का उपचार करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे कर्मचारियों, पेंशनर व उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड से उपचार कराने में दिक्कत आ रही है। कर्मचारी संगठन इसे लेकर सरकार पर लगातार दबाव भी बना रहे हैं।
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उपचार कराने में नहीं होगी दिक्कत। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)
इसे देखते हुए मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को योजना का अनवरत लाभ मिलता रहे, इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए।
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उन्होंने अधिकारियों को जल्द इसका प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि इसे कैबिनेट में लाया जा सके। बैठक में बताया गया कि योजना में अंशदान की अपेक्षा उपचार खर्च में काफी बढ़ोतरी हुई है। गैप फंडिंग न होने के कारण योजना के संचालन में बाधाएं आ रही हैं।
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