इमरजेंसी और प्रसव पूर्व अब पैथोलॉजी में ऑन काल होगी जांच Dehradun News
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आपातकालीन मामलों में पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था अब ऑन कॉल चलेगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आपातकालीन मामलों में पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था अब ऑन कॉल चलेगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। इसके अलावा 24 घंटे पैथोलॉजी जांच की सुविधा देने पर भी विचार किया जा रहा है। शुरुआती चरण में अस्पताल की महिला विंग में प्रसव पूर्व जांच या इमरजेंसी मामलों में इस सुविधा का लाभ मिलेगा।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि पैथोलॉजी लैब में 24 घंटे सुविधा देने पर लगभग सहमति बन चुकी है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की महिला विंग में प्रसव पूर्व जांच व इमरजेंसी मामलों में तत्काल जांच करने की समस्या बनी रहती है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सबसे पहले मरीज का ब्लड ग्रुप व सीबीसी जांच करना जरूरी होता है। लेकिन, अस्पताल में देर-सवेर आने वाले इमरजेंसी मामलों में इसके लिए कोई विशेष सुविधा नहीं है। क्योंकि पैथोलॉजी लैब में सैंपल जमा करने व सैंपल जांच के लिए समय निर्धारित है। ब्लड बैंक 24 घंटे खुला रहता है। जिसमें इमरजेंसी में हीमोग्लोबिन की जांच की जा सकती है। लेकिन, यदि मरीज की सीबीसी जांच कराने की जरूरत पड़ी तो फिर प्राइवेट लैब का रुख करना पड़ता है। बता दें, मेडिकल कालेज के मानक के हिसाब से दून अस्पताल की लैब में 50 टेक्नीशियन होने चाहिए। जबकि वर्तमान में अस्पताल की लैब सिर्फ 14 टेक्नीशियन के भरोसे चल रही है। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन के लिए 24 घंटे पैथोलॉजी जांच की सुविधा शुरू करना आसान नहीं होगा। इससे पहले भी पैथोलाजी लैब को शाम पांच बजे तक खोलने का दावा किया गया था, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते लैब को दिन में दो बजे के बाद चलाना मुमकिन नहीं हो पाया।
भर्ती मरीजों को जांच के बाद ही परोसा जाएगा भोजन
अस्पताल में भर्ती मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता से अब कोई समझौता नहीं होगा। मरीजों को जांच के बाद ही भोजन परोसा जाएगा। फिलहाल इस तरह की व्यवस्था कोरोनेशन अस्पताल में अमल में लाई जा रही है। इस बाबत अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने संबंधित चिकित्सकों, अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों को निर्देश जारी किए हैं। साफ तौर पर कहा गया है कि मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित की जाए। भोजन की गुणवत्ता की जांच के बाद ही उसको मरीजों को दिया जाए।
दरअसल, सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर आए दिन सवाल उठते रहते हैं।
मरीज कभी उनको परोसे जाने वाले भोजन में कीड़ा मिलने या फिर गुणवत्ता खराब होने की शिकायत करते रहते हैं। इस बात को लेकर कई मर्तबा मरीजों के तीमारदार अस्पतालों में हंगामा भी कर चुके हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों को तीन समय का भोजन उपलब्ध कराने के लिए सभी जगह कैंटीन हैं। इन कैंटीनों का संचालन निविदा प्रक्रिया के बाद ठेकेदारी प्रथा पर किया जाता है। कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए दूसरी कैंटीन से कट्टों में रोटियां पैक करा कर ले जाने का मामला पूर्व में प्रकाश में आया था। लिहाजा पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने इस दिशा में कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है।
अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश जारी कर कहा है कि चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के लिए जो भी भोजन दिया जाता है उसकी गुणवत्ता की पहले जांच कर ली जाए। भोजन की गुणवत्ता की जांच करने की जिम्मेदारी संबंधित वार्ड में तैनात अधिकारी/ कर्मचारी की होगी। यदि भोजन की गुणवत्ता में किसी भी तरह की मिलावट/ विसंगति पाई जाती है तो इसकी सूचना तत्काल चिकित्सा अधीक्षक को दी जाए। निर्देश का सख्ती से पालन नहीं करने वालों पर प्रशासनिक कार्रवाई करने की बात भी उन्होंने कही है।
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