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    Dehradun News: बिल्डर सतेंद्र साहनी आत्महत्या मामले में एफआर, साक्ष्य नहीं जुटा पाई पुलिस

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 11:41 PM (IST)

    देहरादून के बिल्डर सतेंद्र साहनी की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। गुप्ता बंधु, जिन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। साहनी ने 24 मई 2024 को आत्महत्या की थी, और उनके सुसाइड नोट में गुप्ता बंधुओं का नाम था। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि पहले तत्परता दिखाई गई, लेकिन बाद में मामला बंद कर दिया गया।

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: राजधानी दून के रियल एस्टेट सेक्टर को हिलाकर रख देने वाले नामी बिल्डर सतेंद्र उर्फ बाबा साहनी की आत्महत्या के मामले पुलिस की कार्रवाई 18 महीने बाद एफआर (फाइनल रिपोर्ट) पर जाकर बंद हो गई। जिन चर्चित गुप्ता बंधु (अजय गुप्ता) और उनके बहनोई अनिल गुप्ता पर बाबा साहनी को आत्महत्या के लिए विवश करने का मुकदमा दर्ज किया गया था, पुलिस उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाई और अंत में जांच की फाइल बंद कर दी गई।

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    देहरादून के नामी बिल्डर सतेंद्र साहनी ने 24 मई 2024 को सहस्रधारा रोड स्थित अपनी बेटी के पैसेफिक गोल्फ एस्टेट के फ्लैट (आठवीं मंजिल) से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। बिल्डर की जेब से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला था। सुसाइड नोट पर सतेंद्र साहनी ने अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता का नाम लिखा था। इस नोट और बिल्डर के बेटे के बयान के आधार पर पुलिस ने अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

    मृतक सतेंद्र साहनी दो कंपनियों (साहनी इंफ्रास्ट्रक्चर और साहनी इंफ्रा) के निदेशक थे। उन्होंने सहस्रधारा हेलीपैड के पास और राजपुर रोड पर अम्मा कैफे के पास दो आवासीय प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया था। शुरुआत में उनके साथ पार्टनर के रूप में अन्य बिल्डर संजय गर्ग ही थे, लेकिन परियोजनाओं का बजट अधिक होने के कारण उन्होंने बड़े फाइनेंसर की तलाश थी।

    यह तलाश एक तरफ गुप्ता बंधु के रूप में पूरी हुई तो दूसरी तरफ यह साझेदारी बिल्डर साहनी को मौत के करीब भी ले गई। गुप्ता बंधु का अनचाहा हस्तक्षेप परियोजनाओं पर बढ़ता रहा और बिल्डर साहनी उसके बोझ तले दबते चले गए। खैर, उनकी मौत के बाद पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए गुप्ता बंधु और उनके बहनोई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। शुरुआत में अब कुछ सख्त नजर आया, लेकिन समय के साथ गुप्ता बंधु जमानत पर बाहर आए और अब अचानक यह बात भी सामने आ गई कि पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिले।

    बिल्डर हो रहे फरार, पुलिस लगा रही एफआर

    दून में एक तरफ बिल्डर भोले-भाले लोगों का करोड़ों रुपये लेकर फरार हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही है। इसका ताजा उदाहरण शहर के नामी बिल्डर सतेंद्र सिंह साहनी उर्फ बाबा साहनी सुसाइड केस में एफआर लगाना है।

    हाई प्रोफाइल इस मामले में जिस गंभीरता से पुलिस ने पहले आरोपित अजय कुमार गुप्ता व उनके बहनोई अनिल गुप्ता (गुप्ता बंधु) को गिरफ्तार किया, अब उसी मामले में आरोपितों को क्लीन चिट दे दी है। ऐसे कई बड़े मामले हैं, जिनमें पुलिस ने एफआर लगाकर केस को खत्म कर दिया। इससे पहले पिछले दिनों भी पुलिस ने पुष्पांजलि बिल्डर से जुड़े एक केस में भी एफआर लगा दी थी।

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