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    नगर निगम के नए वार्डों में व्यावसायिक भवन कर पर रोक

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 06 Apr 2021 12:50 PM (IST)

    शहर में शामिल किए गए 72 गांवों में वसूले जा रहे व्यावसायिक भवन कर पर सरकार के ताजा आदेश आने के बाद सोमवार देर शाम नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने रोक लगा दी है। नए 31 वार्डों में व्यावसायिक भवन कर को लेकर भारी विरोध चल रहा था।

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    नगर निगम के नए वार्डों में व्यावसायिक भवन कर पर रोक।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। शहर में शामिल किए गए 72 गांवों में वसूले जा रहे व्यावसायिक भवन कर पर सरकार के ताजा आदेश आने के बाद सोमवार देर शाम नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने रोक लगा दी है। नए 31 वार्डों में व्यावसायिक भवन कर को लेकर भारी विरोध चल रहा था। केवल व्यापारी ही नहीं, बल्कि महापौर एवं भाजपा विधायक समेत कांग्रेसी नेता भी विरोध कर रहे थे। इस बारे में महापौर सुनील उनियाल गामा ने शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत से मुलाकात की और विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी मंत्री को पत्र सौंपा। कांग्रेस की ओर से नगर निगम में प्रदर्शन किया गया। शाम तक चले घटनाक्रम के बाद देर शाम शहरी विकास मंत्री ने महापौर गामा से हुई मुलाकात के बाद व्यावसायिक भवन कर फिलहाल स्थगित करने के आदेश दे दिए। इससे व्यापारियों में खुशी की लहर है।

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    नगर निगम में सीमा विस्तार के बाद वर्ष 2018 में शहरी क्षेत्र से सटी 72 ग्राम सभा का विलय किया गया था। पहले निगम की वार्ड संख्या 60 थी, लेकिन नई व्यवस्था के बाद यह संख्या बढ़कर 100 हो गई। इनमें नए वार्ड 31 ही बने, जबकि बाकी नौ वार्ड पुराने 60 वार्डों के परिसीमन से बने। राज्य सरकार ने निगम में शामिल नए इलाकों में दस साल तक भवन कर से छूट का ऐलान किया था। इसका शासनादेश भी हुआ पर उसमें केवल आवासीय का जिक्र था। ऐसे में नगर निगम द्वारा व्यावसायिक भवनों से कर वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी।

    नए वार्डों में भवन कर जमा करने को लेकर नगर निगम के नोटिस का कांग्रेस ने किया विरोध

    नए वार्डों में सरकार की ओर से भवन कर में छूट के बावजूद निगम की ओर से नोटिस भेजे जाने पर कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को निगम में प्रदर्शन किया। महानगर कांग्रेस के बैनर तले पूर्व काबीना मंत्री दिनेश अग्रवाल, पूर्व विधायक राजकुमार व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा समेत कांग्रेसी पार्षदों ने नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर निगम के विरोध में नारेबाजी की। आरोप लगाया कि सरकार की ओर से कर माफी का शासनादेश जारी होने के बावजूद नगर निगम व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहा एवं उन्हें जबरन वसूली के नोटिस भेजे जा रहे हैं।

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