उत्तराखंड की पहली आर्ट गैलरी में नहीं है आर्ट एक्सपर्ट, बनकर रह गया शोपीस
राज्य की पहली आर्ट गैलरी महज शो-पीस बन कर रह गई है। गैलरी को शुरू करने के एक साल बाद भी यहां न तो आर्ट एक्सपर्ट है और न ही लेखा-जोखा रखने की कोई व्यवस्था।
देहरादून, [दीपिका नेगी]: स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई राज्य की पहली आर्ट गैलरी महज शो-पीस बन कर रह गई है। गैलरी को शुरू करने के एक साल बाद भी यहां न तो आर्ट एक्सपर्ट (क्यूरेटर) है और न ही लेखा-जोखा रखने की कोई व्यवस्था। इनके अभाव में गैलरी में आने वाले लोगों को यहां लगाई गई पेंटिंग्स के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाती। विभाग की गंभीरता का पता तो इससे से चल जाता है कि महज तीन कर्मचारियों की देखरेख में गैलरी का संचालन किया जा रहा है और इन कर्मियों को कला का कोई ज्ञान नहीं है।
कलाकार स्वर्गीय सुरेंद्र पाल जोशी के प्रयासों के चलते मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण की ओर से करीब एक करोड़ 90 लाख की लागत से घंटाघर के निकट 30 सितंबर 2017 को एक आर्ट गैलरी तैयार की गई। इसके बाद 23 जुलाई 2018 को इसे संस्कृति विभाग के सुपुर्द कर दिया गया था। ताकि इसका सही ढंग से संचालन किया जा सके।
करीब 408 वर्ग मीटर में बनी इस गैलरी का लोकापर्ण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। इसके बाद से जनता के लिए इसे खोल दिया गया था। यहां समय-समय पर विभाग द्वारा स्थानीय कलाकारों की पेंटिग्स की प्रदर्शनी लगाई जाती है। अब तक चार प्रदर्शनी आयोजित की जा चुकी हैं, लेकिन स्थानीय कलाकारों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। वर्तमान में आर्ट गैलरी में एक संचालक, एक रिसेप्शनिस्ट और एक सफाई कर्मचारी तैनात हैं। यहां अव्यवस्थाओं का बोलबाला है और विभाग इसके संचालन के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है।
इसलिए जरूरी है आर्ट एक्सपर्ट का होना
आर्ट एक्सपर्ट को पेंटिग्स और उसके रखरखाव से लेकर प्रदर्शनी के आयोजन का ज्ञान होता है। कैनवास अलग-अलग कपड़ों से तैयार किए जाते हैं। ऐसे में सभी पेंटिग्स को अलग तरह की देखभाल की जरूरत होती है। वहीं, गैलरी में आने वाले लोगों को चित्रकार द्वारा तैयार पेंटिग्स के भावों का अर्थ और अन्य जानकारी सामान्य व्यक्ति नहीं दे सकता।
संचालन में आ रहीं रहीं दिक्कतें
वर्तमान में गैलरी का संचालन संस्कृति विभाग के राज्य अभिलेखागार इकाई के कनिष्ठ प्राविधिक सहायक कर रहे हैं। जो इस विषय की पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं। इससे लोगों को वह न तो पेंटिग्स से जुड़ी कोई खास जानकारी दे पाते हैं और न ही उनकी जिज्ञासा को ही शांत करा पाते हैं।
कला की समझ रखने वाले विशेषज्ञ का होना बेहद जरूरी
सुनीता जोशी, (चित्रकार स्व. सुरेंद्र पाल जोशी की धर्मपत्नी) का कहना है कि आर्ट गैलरी में कला की समझ रखने वाले विशेषज्ञ का होना बेहद जरूरी है। मैंने हाल ही में सीएम और पर्यटन मंत्री से इस विषय में बात की है। उन्होंने जल्द ही इस पर विशेषज्ञ नियुक्त कराने का आश्वासन दिया है।
विशेषज्ञों की नियुक्ति पर किया जा रहा है विचार
बीना भट्ट (निदेशक संस्कृति विभाग) का कहना है कि आर्ट गैलरी के बेहतर संचाल को विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही विभाग की ओर से क्यूरेटर के पद पर विज्ञप्ति जारी कर नियुक्ति की जाएगी।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में नजर आएगा माउंटेन बाइकिंग का रोमांच, होगी ये चैंपियनशिप
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