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कोरोनाकाल में सुरक्षित और भरोसेमंद हैं अखबार, आपको पहुंचा रहा विश्वसनीय जानकारी

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अखबार न सिर्फ आपको विश्वसनीय जानकारी पहुंचा रहा है बल्कि यह खुद भी ऐसा उत्पाद है जो कोरोना वायरस जैसे खतरे को दूर रखता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 08:52 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 08:52 AM (IST)
कोरोनाकाल में सुरक्षित और भरोसेमंद हैं अखबार, आपको पहुंचा रहा विश्वसनीय जानकारी

देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अखबार न सिर्फ आपको विश्वसनीय जानकारी पहुंचा रहा है, बल्कि यह खुद भी ऐसा उत्पाद है, जो कोरोना वायरस जैसे खतरे को दूर रखता है। यह कहना है कि दून के वरिष्ठ विज्ञानियों व शिक्षाविदें का।

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विज्ञानियों के मुताबिक, सभी को यह जानना जरूरी है कि अखबार छापने के लिए जिस स्याही का प्रयोग होता है, उसमें पहले से टॉक्सिसिटी होती है। इस टॉक्सिसिटी में कोरोना जैसा वायरस जिंदा नहीं रह सकता। इसके अलावा ‘दैनिक जागरण’ की प्रिंटिंग पूरी तरह ऑटोमेटेड है। यानी कि इसमें मानव की भूमिका नहीं होती है। इस प्रक्रिया में भी अखबार को अतिरिक्त रूप से सेनिटाइज किया जा रहा है। इसके अलावा सप्लाई चेन भी सेनिटाइज्ड होने से वायरस का खतरा दूर हो जाता है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि स्याही की टॉक्सिसिटी व इसे तैयार करने की प्रक्रिया में कोरोना संक्रमण के फैलाव का खतरा नहीं है।

राकेश भारद्वाज, वरिष्ठ वैज्ञानिक (डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लीकेशन लैबोरेटरी/डीआरडीओ) का कहना है कि अखबार तैयार करने की विधि ऑटोमेटेड है। पूरी प्रक्रिया मशीनी होने और हर स्तर पर सेनिटाइजेशन होने के चलते अखबार सुरक्षित है। संक्रमणकाल में मैं नियमित रूप से दैनिक जागरण पढ़ रहा हूं और भरोसेमंद जानकारी प्राप्त कर रहा हूं। डब्ल्यूएचओ ने भी अखबार को संक्रमणमुक्त माना है।

प्रो. रविकांत (निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश) का कहना है कि अखबार के जरिये कोरोना वायरस संक्रमण करने की बातें मिथ्या साबित हुई है, बल्कि लॉकडाउन की अवधि में समाचार पत्र अच्छे साथी साबित हुए। अखबार से संक्रमण का कोई वैधानिक आधार सामने नहीं आया है। मेरी अपील है कि सटीक जानकारी के लिए नियमित अखबार पढ़ते रहें।

डॉ. राजेंद्र डोभाल (महानिदेशक, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) का कहना है कि अखबार की स्याही में टॉक्सिसिटी होती है। इसमें कोई वायरस जिंदा नहीं रह सकता। जागरण की प्रिंटिंग व वितरण तक में हर स्तर पर सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है। ऐसे में कोरोना का खतरा दूर होना स्वाभाविक है। मैं स्वयं भी जागरण का पाठक हूं और इससे तमाम अपडेट पाकर अपना ज्ञान बढ़ा रहा हूं।

डॉ. दुर्गेश पंत (निदेशक, उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र) का कहना है कि अखबार से कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका निराधार है। समाचार पत्रों से कोरोना फैलने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। विशेषज्ञ भी इसकी लगातार पुष्टि कर रहे हैं। अखबार की प्रिंटिंग अत्याधुनिक तकनीक से ऑटोमेटेड तरीके से की जाती है। लिहाजा, अखबार से कोरोना का खतरा नहीं है।

डॉ. आशुतोष सयाना (प्राचार्य दून मेडिकल कॉलेज) का कहना है कि अखबार सुरक्षित हैं। किसी भी पेपर पर वायरस इतने समय तक नहीं रह सकता कि संक्रमण फैले। आजकल बड़े अखबार स्वचालित मशीनों से छपते हैं और वह भी बिना ह्यूमन कॉन्टेक्ट के। जिन देशों में कोरोना संक्रमण कम्युनिटी फेज में पहुंच गया है, वहां भी अखबारों की आपूर्ति निर्बाध चलती रही है।

डॉ. चंद्र मोहन सिंह रावत (प्राचार्य श्रीनगर मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल) का कहना है कि समाचार पत्र से किसी भी प्रकार से कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा नहीं होता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रतिदिन अखबार पढ़ना जरूरी भी है, क्योंकि कोरोना महामारी को लेकर नई जानकारियां मिलने के साथ ही उससे बचाव को लेकर किए जाने वाले उपायों की जानकारी हमें अखबार से मिलती है।

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