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एनआइवीएच में यौन शोषण: कमान संभालते ही निदेशक ने किया फेरबदल

छात्रों के यौन शोषण को लेकर उपजे विवाद के बाद नए प्रभारी निदेशक केवीएस राव ने जिम्मेदारी संभालने के बाद एनआइवीएच में व्यवस्थाओं में सुधार के तेजी से प्रयास शुरू कर दिए हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 01:15 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 01:15 PM (IST)
एनआइवीएच में यौन शोषण: कमान संभालते ही निदेशक ने किया फेरबदल
एनआइवीएच में यौन शोषण: कमान संभालते ही निदेशक ने किया फेरबदल

देहरादून, [जेएनएन]: छात्रों के यौन शोषण को लेकर उपजे विवाद के बाद नए प्रभारी निदेशक केवीएस राव ने जिम्मेदारी संभालने के बाद एनआइवीएच में व्यवस्थाओं में सुधार के तेजी से प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस दिशा में सबसे अहम निर्णय स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल के अहम पदों पर फेरबदल का लिया गया है। 

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उन्होंने कमलवीर सिंह को प्रिंसिपल की जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए डॉ. गीतिका माथुर को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि, कमलवीर सिंह को डिपार्टमेंट ऑफ स्पेशल एजुकेशन के कॉर्डिनेटर का कार्यभार सौंपा गया है। वाइस प्रिंसिपल अनुसूया शर्मा को भी जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए अमित शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसे छात्रों व प्रबंधन के बीच नए सिरे से रिश्ते बनाने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से आए एनआइवीएच के नए प्रभारी निदेशक केवीएस राव ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में अपनी कार्ययोजना साझा की। केवीएस राव ने बताया कि सबसे पहले उनकी कोशिश छात्रों का विश्वास जीतने की होगी। उन्होंने माना कि छात्रों का आंदोलन प्रबंधन के खिलाफ पैदा हुए अविश्वास का नतीजा है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस अविश्वास को खत्म करने के लिए उन्होंने प्रिंसिपल व वाइस प्रिंसिपल के अहम पदों पर फेरबदल किया है। 

मेडिकल ऑफिसर डॉ. गीतिका माथुर को प्रिंसिपल और अमित शर्मा को वाइस प्रिंसिपल की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। बताया कि इसके अलावा भी कई चैनल विकसित किए जा रहे हैं ताकि छात्रों व प्रबंधन के बीच निरंतर संपर्क होता रहे। 

इसके लिए पूरे संस्थान में तीन शिकायत पेटिका लगाई जा रही हैं। इसमें कोई भी छात्र अपनी समस्या व शिकायत दे सकेगा। हर शिकायत के निस्तारण के प्रति प्रबंधन उत्तरदायी होगा। स्कूल में समन्वय समिति का गठन भी किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक कक्षा से छात्र-छात्राओं के नाम भी मांगे गए हैं। इसमें प्रिंसिपल अध्यक्ष होगा। कहा कि वह स्वयं हर सप्ताह प्रत्येक विभागों में व्यवस्थाओं व अधिकारियों के कार्यो की समीक्षा करेंगे। 

राव ने भी स्वीकारी खामियां 

केवीएस राव ने भी संस्थान में विभागीय सुविधाओं में तमाम खामियों को स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि बुधवार को निरीक्षण में उन्होंने भी खाने की गुणवत्ता, मेस में सफाई, पीने के पानी में कमियां पाई। कहा कि यह सुविधाएं मूलभूत होती हैं। इनकी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए था। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। बताया कि मंत्रालय को भेजी जांच रिपोर्ट में इन तमाम बिंदुओं को शामिल किया गया था। 

स्थायी निदेशक पर फैसला जल्द 

उन्होंने स्थायी निदेशक को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वह भी चाहते हैं कि स्थायी निदेशक पर तीन माह के भीतर फैसला हो जाए। ताकि नए निदेशक भी व्यवस्थाओं को समझ सकें। वह इसकी सिफारिश भी करेंगे। 

डालमिया की बर्खास्तगी पर मंत्रालय ही अधिकृत 

केवीएस राव ने तमाम खामियां तो स्वीकारी, लेकिन पूर्व निदेशक अनुराधा डालमिया की बर्खास्तगी को लेकर वह कुछ भी बोलने से बचते दिखे। उनका यही कहना था कि मंत्रालय से जो भी आदेश होगा, वह मान्य होगा। वह स्वयं इस पर कुछ भी बोलने या निर्णय लेने को अधिकृत नहीं हैं। हफ्ते में दो दिन कार्यभार देखेंगे बताया कि उनके पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में अहम जिम्मेदारियां हैं। 

इसके कारण वह संस्थान में ज्यादा समय देने में असमर्थ रहेंगे। लेकिन, वह सप्ताह में दो दिन एनआइवीएच में कार्यभार संभालेंगे, जबकि अन्य दिन दिल्ली में मंत्रालय में रहेंगे। 

एसएसपी से भी जांच का लिया संज्ञान 

शिक्षक द्वारा छात्राओं के साथ यौन शोषण प्रकरण पर केवीएस राव ने एसएसपी निवेदिता कुकरेती से भी बातचीत की। उन्होंने एसएसपी से पुलिस की जांच की प्रगति के बारे में भी जानकारी हासिल की। इस संबंध में एसएसपी ने बताया है कि पुलिस आरोपित की गिरफ्तारी के लगातार प्रयास कर रही है।

केवीएस राव ने छात्रों से की आंदोलन समाप्त करने की अपील

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से एनआइवीएच में प्रभारी निदेशक के तौर पर आए केवीएस राव पहले ही दिन से छात्रों के आंदोलन को खत्म करने की कवायद में जुटे रहे। राव ने छात्रों से कई बार आंदोलन खत्म कर कक्षाओं में लौटने की भावनात्मक अपील भी की।

एनआइवीएच में बैठकों का दौर शुरू हो गया था। बैठक के लिए जाते समय केवीएस राव की नजर परिसर में धरने पर बैठे छात्रों पर पड़ी तो वह उनसे मिलने पहुंच गए। उन्होंने छात्रों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। इसके बाद प्रबंधन व स्टाफ के साथ बैठक करीब दो घंटे चली। करीब दो बजे छात्रों ने निदेशक राव से मिलने का अनुरोध किया और छात्रों की समस्याएं सुनकर हरसंभव कार्रवाई का आश्वासन देने की कोशिश की। लेकिन, छात्र पूर्व निदेशक अनुराधा डालमिया की बर्खास्तगी के साथ मांगों पर डेडलाइन जारी करने की मांग पर अड़े रहे।

छात्रों ने सौंपी मुख्य गेट के तालों की चाबी 

प्रभारी निदेशक राव के आग्रह पर छात्रों ने मुख्य गेट के तालों की चाबी गार्ड को सौंप दी। राव ने आग्र्रह किया था कि इससे एटीएम, कैंटीन व अन्य स्टाफ को तमाम समस्याएं आ रही हैं। बताया कि वह स्वयं मुख्य गेट पर करीब पांच मिनट तक चाबी के लिए छात्रों का इंतजार करते रहे। इस पर छात्रों ने क्षमा भी मांगी।

आयोग ने दिया 15 दिन का समय

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से प्रभारी निदेशक एनआइवीएच को छात्रों की 30 सूत्रीय मांगों के निस्तारण को लेकर 15 दिन का समय दिया है। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि निर्धारित अवधि के बाद वह स्वयं संस्थान की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगी। 

इसमें वार्षिक कैलेंडर ब्रेल में जारी करने, परिसर में छात्राओं को घूमने देने, समन्वय समिति के गठन, संस्कृत व्याकरण की पुस्तक का ब्रेल-प्रेस में प्रकाशन, स्कूल में विज्ञान संकाय की मंजूरी, खेल मैदान का विस्तारीकरण, खाने की गुणवत्ता एवं पौष्टिक आहार, सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत कई अन्य समस्याएं शामिल हैं। 

केंद्रीय सचिव ने की एनआइवीएच में सुरक्षा बढ़ाने की मांग

राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच)मामले में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव ने सूबे के मुख्य सचिव को पत्र भेजते हुए संस्थान की सुरक्षा-व्यवस्था में सहयोग की मांग की है। मुख्य सचिव ने इस मामले में डीएम और एसएसपी को जरूरी निर्देश दिए हैं।

एनआइवीएच में छात्राओं से यौन शोषण और 30 अन्य मांगों को लेकर छात्र-छात्राएं आंदोलित हैं। मामले में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य प्रकरण को सुलझाने में जुटी हैं। 

मगर, मामला बिगड़ते देख केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भी राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को पत्र भेजा है। केंद्रीय सचिव शकुंतला डौले गामलिन ने मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए कहा कि संस्थान की देश में अलग पहचान है। 

यौन शोषण जैसे अपराध सामने आने पर एक शिक्षक को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। दूसरे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। छात्र-छात्राएं अभी भी आंदोलित हैं। इससे जहां पढ़ाई और दूसरे कार्य प्रभावित हो रहे हैं, वहीं संस्थान की सुरक्षा और व्यवस्था पर भी असर पड़ा है। 

उन्होंने मुख्य सचिव से पूरे प्रकरण में उचित सहयोग की अपेक्षा की है। साथ ही संस्थान की सुरक्षा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है। केंद्रीय सचिव के पत्र के बाद मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी और एसएसपी को सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देते हुए मामले के निस्तारण में संस्थान को निर्देश दिए गए हैं।

यह है मामला 

एनआइवीएच में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने स्कूल के शिक्षक सुचित नारंग पर छात्राओं से छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए थे। इसके अलावा संस्थान की सुरक्षा और व्यवस्था में सुधार को लेकर भी छात्र-छात्राओं ने मोर्चा खोल रखा है। 

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