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    देवियों में सर्वोपरि है मां गंगा, दुर्गा के रूप में होती उनकी पूजा अर्चना

    गंगोत्री में मां गंगा की नवरात्र में विशेष दुर्गा के रूप में पूजा अर्चना होती है। गंगा की विश्व कल्याण के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मानी जाती है।

    By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 30 Sep 2019 09:36 AM (IST)
    देवियों में सर्वोपरि है मां गंगा, दुर्गा के रूप में होती उनकी पूजा अर्चना

    देहरादून, जेएनएन। प्रसिद्ध धाम गंगोत्री में मां गंगा की नवरात्र में विशेष दुर्गा के रूप में पूजा अर्चना होती है। गंगा की विश्व कल्याण के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मानी जाती है। नवरात्र के समय स्थानीय लोगों के साथ यात्री भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान यहां एक उत्सव का माहौल रहता है। गंगा की भोग मूर्ति गंगोत्री धाम के गर्भगृह में ही रहती है, जबकि धाम के कपाट बंद होने के बाद गंगा की उत्सव मूर्ति शीतकाल में छह माह के लिए गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में पहुंचती है तथा यहीं पर छह माह तक श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन करते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्र ही एक ऐसा अवसर होता है जिसका अनुष्ठान गंगोत्री धाम में होता है। चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान गंगा की शीतकालीन पड़ाव मुखबा में होता है।

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    ऐसे पहुंचें मंदिर

    सड़क मार्ग से देहरादून से 240 किमी व ऋषिकेश से 260 किमी की दूरी तय कर गंगोत्री धाम में पहुंचा जा सकता हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से गंगोत्री की दूरी 100 किलोमीटर है।

    ऐतिहासिक मान्यता

    गंगोत्री धाम में मां गंगा साक्षात रूप में विराजती है। कहा जाता है कि यहीं पर शिला में बैठ कर राजा भगीरथ ने 5500 वर्षों तक गंगा को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी। मान्यता है कि भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो कर गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। गंगोत्री मंदिर का निर्माण सर्व प्रथम गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने 18वीं शताब्दी में शुरू करवाया था। इसके बाद जयपुर नरेश राजा जय सिंह 1922 में गंगोत्री मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। गंगोत्री मंदिर सफेद रंग के चित्तीदार ग्रेनाइट शिलाखंडों को तराश कर बनाया गया।

    निर्माण की शैली

    पुराने समय में यह मंदिर सामान्य स्थानीय भवन शैली से ही मेल था। लेकिन जब इसका पक्का निर्माण करवाया गया तथा मंदिर को शिखर शैली का रूप दिया गया।

    धार्मिक मान्यता

    मां गंगा दर्शन करने से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होती है तथा मां गंगा की पूजा अर्चना करने से ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। गंगा के पवित्र स्नान से मनुष्य के समस्त पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    राजेश सेमवाल (गंगा के तीर्थ पुरोहित एवं गंगोत्री मंदिर समिति के सह सचिव) का कहना है कि गंगा में पूरे विश्व भर के लोगों की लोगों की बड़ी आस्था है। गंगा मां देवियों में सर्वोपरि है। जिसको भगवान शंकर ने अपने माथे के ऊपर स्थान दिया है। नौ दिनों तक नवरात्र व दशहरे में यहां विशेष पूजा अर्चना होती है। जिसमें स्थानीय व देश भर के श्रद्धालु जुटते हैं।

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    सुरेश सेमवाल (अध्यक्ष गंगोत्री मंदिर समिति) का कहना है कि गंगा मां का यहां साक्षात स्वरूप है। मां गंगा के दर्शन मात्र से ही ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शारदीय नवरात्र में गंगोत्री में नौ दिनों तक पांच ब्राह्मण सप्त चंडी पाठ करते हैं।इसके साथ रामायण का भी पाठ होता है। इसके अलावा गंगोत्री में महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की भी खास पूजा अर्चना होती है।

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