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उत्तराखंड में डेंगू का वार, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 300 पार

स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बाद भी उत्तराखंड में डेंगू पर लगाम की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। प्रदेश में डेंगू के मरीजों का तीन सौ का आंकड़ा पार कर गया है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 10:37 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 10:37 AM (IST)
उत्तराखंड में डेंगू का वार, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 300 पार
उत्तराखंड में डेंगू का वार, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 300 पार

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में डेंगू का डंक लगातार गहराता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बाद भी इस पर लगाम की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। शुक्रवार को राज्यभर में डेंगू के 25 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें सर्वाधिक 12 मामले हरिद्वार के हैं। जबकि, देहरादून में चार, टिहरी में सात और नैनीताल में दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस तरह प्रदेश में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या तीन सौ का आंकड़ा पार कर 305 तक पहुंच गई है। डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी बल पड़ने लगे हैं।

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मानसून की विदाई के साथ ही जिस तरह डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, उससे साफ है कि अगले कुछ वक्त एडीज मच्छर की सक्रियता कम नहीं होने वाली। हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि डेंगू का स्ट्रेन मामूली है और मरीज हल्का उपचार लेकर ठीक हो जा रहे हैं। 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिन क्षेत्रों से डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं, वहां लार्वानाशकदवा का छिड़काव व नियमित फॉगिंग कराई जा रही है। आमजन को भी अपने आसपास पानी एकत्र नहीं होने देने के लिए जागरूक किया जा रहा है। 

वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में जब तक ठंडक नहीं आती डेंगू का मच्छर सक्रिय रह सकता है। पारा 26-27 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाने के बाद ही मच्छर निष्क्रिय होगा। जबकि, वर्तमान में मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। ऐसे में मौसम अब भी मच्छर के लिए मुफीद दिख रहा है। 

93 मरीजों में से 53 में मिले डेंगू के लक्षण

भगवानपुर के रूहलकी दयालपुर गांव में स्वास्थ्य विभाग की ओर कैंप लगाया गया। 93 मरीजों की जांच की गई, जिसमें 53 मरीजों की प्रारंभिक जांच में डेंगू के लक्षण मिले हैं। अब इन मरीजों की एलाइजा जांच करवाई जाएगी। 

स्वास्थ्य विभाग की ओर से भगवानपुर के रूहलकी दयालपुर गांव में स्वास्थ्य कैंप लगाया गया। इस दौरान काफी संख्या में डेंगू संभावित मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। 

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. गुरनाम सिंह ने बताया कि कैंप में बुखार से पीडि़त 93 मरीजों की जांच की गई। इनमें से 53 मरीजों में प्रारंभिक जांच में डेंगू के लक्षण मिले। ग्रामीणों को डेंगू से बचाव की जानकारी देने के साथ ही सही उपचार लेने की सलाह दी गई। 

बताया कि पनियाला में भी स्वास्थ्य विभाग की पांच टीमों ने डेंगू की रोकथाम के लिए अभियान चलाया हुआ है। वहीं, नगर निगम की ओर से स्प्रे और फॉङ्क्षगग भी की जा रही है। रूहलकी दयालपुर गांव में लगाए गए कैंप में स्वास्थ्य विभाग की टीम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. विक्रांत सिरोही, उमेश वर्मा, अंकुर, सिद्धार्थ आदि शामिल रहे। 

अब नहीं लगानी होगी आइसीयू के लिए दौड़

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जल्द ही अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 30 बेड का सेंट्रलाइज आइसीयू तैयार होगा। आइसीयू का निर्माण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों के अनुसार किया जा रहा है। इससे मरीजों को खासी राहत मिलेगी। 

इसके अलावा अस्पताल के सर्जिकल आइसीयू के लिए विधायक खजानदास विधायक निधि से मदद देंगे, जिससे इसका जीर्णोद्धार होगा। महिला अस्पताल के पास निर्माणाधीन नई बिल्डिंग में सेंट्रलाइज आइसीयू बनाया जाएगा। इसके बाद मेडिसिन, सर्जिकल, ईएनटी और जरनल आइसीयू एक साथ हो जाएंगे। अस्पताल की ओटी भी इसी बिल्डिंग में शिफ्ट की जाएगी।

मौजूदा समय में अस्पताल में आइसीयू में बेड की कमी के कारण मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था के बाद मरीजों को क्रिटिकल केयर आसानी से मिल सकेगी। अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि नई बिल्डिंग बनने के बाद जगह की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी। सेंट्रलाइज्ड आइसीयू होने का मरीजों को लाभ मिलेगा।

उन्होंने बताया कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में पांचवें साल तक 35 बेड का आइसीयू होना चाहिए। इसी अनुरूप कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा सर्जिकल आइसीयू में भी कुछ काम होना है। इसमें पीछे की तरफ से दीवार टूटी हुई है, छत से पानी आता है। क्षेत्रीय विधायक खजानदास इस कार्य के लिए अपनी निधि से मदद दे रहे हैं। इसके लिए 5.69 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया है। 

बता दें कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के तहत शहर में आइसीयू के नाम पर केवल दून मेडिकल कॉलेज में पाच बेड हैं। महिला अस्पताल में तीन में दो वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। ऐसे में यदि यह काम होता है तो मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

अगले तीस दिन में करा लें अल्ट्रासाउंड का पंजीकरण

देहरादून जनपद में संचालित तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटर को अगले तीस दिन के भीतर पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होगा। उक्त अवधि में पंजीकरण न कराने पर उनके खिलाफ एक्ट के तहत विधिक कार्रवाई की जाएगी। 

किसी भी तकनीक से गर्भधारण पूर्व तथा गर्भावस्था में लिंग की जानकारी करना अथवा लिंग चयन करना व कराना पीसी पीएनडीटी के तहत अपराध है। अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग की जांच की जा सकती है। इसके कारण लड़कियों की संख्या में गिरावट के कारण ही सख्त कानून लागू किया गया है। 

इसके तहत कोई भी डॉक्टर बिना सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण के न तो अल्ट्रासाउंड कर सकता है और न ही मशीन को रख सकता है। यही नहीं हर माह जितने भी अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं उनकी जानकारी भी सीएमओ कार्यालय को निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध करानी होती है, लेकिन कई सेंटर इसका उल्लघंन कर रहे हैं। 

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि जिन भी केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड सुविधाएं, जो ऑप्थैलमोलॉजी, ईको कार्डियोग्राफी, यूरोलॉजी आदि में इस्तेमाल में लाई जाती हैं, वह पंजीकरण अवश्य कर लें। ह भी पढ़ें: उत्तराखंड में एजीड मच्छरों की बढ़ रही सक्रियता, सात और मरीजों में डेंगू

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