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    उत्तराखंड: ढाई लाख कार्मिकों को मिला स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच, आयुष्मान से बाहर कर जोड़ा गया सीजीएचएस से

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Fri, 26 Nov 2021 07:49 AM (IST)

    करीब ढाई लाख कार्मिक और पेंशनर को अब बेहतर और उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का सुरक्षा कवच उपलब्ध हो गया है। सभी प्रकार के रोगों के उपचार को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए गुरुवार को शासनादेश जारी हुआ।

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    उत्तराखंड: ढाई लाख कार्मिकों को मिला स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्थाओं, निगमों-उपक्रमों, निकायों, प्राधिकरणों के करीब ढाई लाख कार्मिक और पेंशनर को अब बेहतर और उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का सुरक्षा कवच उपलब्ध हो गया है। सभी प्रकार के रोगों के उपचार को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए गुरुवार को शासनादेश जारी हुआ। अटल आयुष्मान योजना से बाहर कर उन्हें राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) से जोड़ा गया है। 

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    एसजीएचएस के अंतर्गत चिकित्सा सुविधाएं केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की तर्ज पर लागू की गईं हैं। चिकित्सा उपचार के लिए धनराशि की अधिकतम सीमा नहीं होगी। उपचार पर होने वाले खर्च का भुगतान सीजीएचएस दरों पर किया जाएगा। बड़े और कारपोरेट अस्पतालों में भी उपचार की पूरी सुविधा मिलेगी।चुनावी साल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय कार्मिकों और पेंशनर के साथ ही सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों, स्वायत्तशासी निकायों, प्राधिकरणों, विश्वविद्यालयों एवं अनुदानित संस्थाओं के कार्मिकों की बड़ी मांग पूरी कर दी।

    इस संबंध में बीते माह मंत्रिमंडल ने फैसला लिया था। फैसले के अनुसार एसजीएचएस को आयुष्मान भारत और अटल आयुष्मान उत्तराखंड की अंब्रेला योजना से अलग कर दिया गया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण एसजीएचएस का संचालन करेगा। प्राधिकरण सीजीएचएस की दरों पर सरकारी और निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध करेगा।

    अस्पतालों में सभी विशेषज्ञ सुविधा का मिलेगा लाभ

    महत्वपूर्ण बात ये भी है कि सूचीबद्ध अस्पतालों में उपलब्ध सभी विशेषज्ञ चिकित्सा का लाभ एसजीएचएस या गोल्डन कार्डधारकों को उपलब्ध होगी। एकल विशेषज्ञता के लिए ख्यातिप्राप्त चिकित्सालयों को भी सूचीबद्ध किया जाएगा। इस योजना में कार्मिक के परिवार एवं आश्रित की मासिक आय सीमा सीजीएचएस के अनुरूप निर्धारित होगी। दिव्यांगता न्यूनतम 40 प्रतिशत होनी चाहिए। इसकी पुष्टि मेडिकल बोर्ड करेगा।

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