Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शीतकाल में तेजी से होता है वायरस का प्रसार, वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट ने दी ये सलाह

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 25 Nov 2021 10:15 PM (IST)

    यह आजकल चर्चा का विषय है कि क्या कोरोना वायरस भी श्वासतंत्र के अन्य वायरस की तरह मियादी होगा कि नहीं? हालांकि यह सच है कि कोरोना का प्रसार शीतकाल में तेजी से होता है और इससे होने वाली मृत्युदर अधिक होती है।

    Hero Image
    मुख्यमंत्री के चिकित्सक एवं जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: यह आजकल चर्चा का विषय है कि क्या कोरोना वायरस भी श्वासतंत्र के अन्य वायरस की तरह मियादी होगा कि नहीं? हालांकि यह सच है कि कोरोना का प्रसार शीतकाल में तेजी से होता है और इससे होने वाली मृत्युदर अधिक होती है। गर्मियों के उच्च तापमान, आद्रता और पराबैंगनी किरणों के आधिक्य के चलते वायरस अस्थिर होता है और कोरोना और श्वासतंत्र के संक्रमण के मामलों में कमी आती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्यमंत्री के चिकित्सक एवं जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट के अनुसार सर्दियों का कम तापमान. कम आद्रता और कम पराबैंगनी विकिरण वायरस को स्थायित्व प्रदान करता है। शुष्कता की वजह से बलगम की बूंदें छोटे वातकणों में टूट जाती है और बंद कमरों की हवा में ज्यादा देर तक तैर सकती हैं। यह प्रक्रिया वायुजनित प्रसार का कारण बन जाती है। शीत ऋतु के दौरान घरों के अंदर रहने और खिड़कियां बंद रखने की प्रवृत्ति होती है। शरीर के स्तर पर शीत में ठहराव के साथ-साथ कई तरह से इम्यूनिटी रोग-प्रतिरोधकता में कमी आने लगती है। श्वासतंत्र की इम्यूनिटी उसके कफ की तरलता और कोशिकाओं के वायरसरोधी अणुओं के उत्पादन पर निर्भर करती है। सर्दियों में श्ल़ेशमा से लगी कफ या बलगम की परत सूख जाती है जिससे सूक्ष्म पपनियों से रोगकणों को बाहर धकेलने में कमी आती है। कम तापमान में विषाणुरोधी रसायन कम पैदा होते हैं । शीतकाल में होने वाली विटामिन-डी की कमी भी वायरसरोधी इन्टरफेरॉन के उत्पादन में कमी लाती है।

    यह भी पढ़ें- आइजीएनएफए पहुंचे 10 आइएफएस अधिकारी कोरोना संक्रमित, 48 अधिकारियों का बैच दिल्ली से पहुंचा था देहरादून

    कुल मिलाकर शीतकाल का ठंडा और शुष्क वातावरण न केवल वायरस को स्थायित्व देता है बल्कि श्वासतंत्र की प्रतिरोधकता को कम कर देता है। जिससे कि फ्लू और कोरोना जैसे वायरस आसानी से संक्रमण फैला पाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। ऐसा इसलिए कि मास्क के इस्तेमाल से मुंह और विशेषकर नाक की हवा गर्म रहती है, तापमान और नमी का क्षय रुक जाता है। मास्क कई प्रकार से श्वासतंत्र के इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है। कफ को पतला रखने में मदद करने के साथ साथ यह विषाणुरोधी रसायनों के उत्पादन को बढ़ाता है। मुंह तथा नाक की त्वचा की तैलीयता को बनाए रखता है। ये सब लाभ वायरस के आवागमन को रोकने के इतर हैं। एलर्जी और दमा रोग में मास्क कितना सहायक है, वो तो आम चिकित्सकीय जानकारी में शामिल है।

    यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: थैलेसीमिया पीड़ि‍त को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मिलेंगे 10 लाख, राज्‍य में कुल 291 थैलेसीमिया रोगी हैं पंजीकृत

    comedy show banner
    comedy show banner