फिर सवालों में एनआइवीएच, छात्रा ने सहपाठी पर लगाया यौन शोषण का आरोप
एनआइवीएच में एक और छात्रा से यौन शोषण की घटना सामने आर्इ है। छात्रा ने अपने सहपाठी पर छात्रनेता की धौंस जमाते हुए यौन शोषण करने का आरोप लगाया।
देहरादून, [जेएनएन]: राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच) एक बार फिर यौन शोषण के मामले को लेकर सुर्खियों में है। यहां की एक छात्रा ने सहपाठी छात्र पर छात्रनेता की धौंस जमाते हुए यौन शोषण करने व किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए हैं। राजपुर पुलिस ने आरोपित छात्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी को छात्रा के साथ हुए यौन शोषण की जानकारी मिली तो वह शनिवार को एनआइवीएच पहुंचीं। यहां छात्रा ने उन्हें आपबीती बताई और यह भी बताया कि उसने यह बात पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को भी बताई, लेकिन उसकी शिकायत को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए आयोग की अध्यक्ष ने एसएसपी को पत्र भेजकर प्रकरण की जानकारी दी। साथ ही कहा कि छात्रा बालिग है, ऐसे में यह प्रकरण उनकी परिधि से बाहर है। यदि वह प्रकरण में कार्रवाई नहीं करती हैं तो इस प्रकरण का उन्हें संज्ञान में लेना पड़ेगा।
पत्र मिलने के बाद शनिवार को एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने एसओ राजपुर अरविंद सिंह को एनआइवीएच भेजा। जहां छात्रा ने पुलिस को तहरीर सौंपी। एसएसपी ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपित छात्र राकेश रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार आरोपित छात्र संगठन से भी जुड़ा हुआ है।
डरी हुई है छात्रा
बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि छात्रा डरी-सहमी है। उसे लगातार धमकियां दी जा रही हैं। आरोपित छात्र लंबे समय से उसका मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न कर रहा है। जब पुलिस ने उसकी नहीं सुनी तो उसने आयोग से न्याय की गुहार लगाई।
छात्रा ने दी थी आत्महत्या की धमकी
आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि छात्रा का कहना है कि उसने पुलिस से फोन व व्हॉट्सएप के माध्यम से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे वह टूट गई और छात्रा कह रही थी कि यदि आरोपित छात्र के खिलाफ पुलिस जल्द कार्रवाई नहीं करेगी तो वह आत्महत्या करने को विवश होगी।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि मुझे शनिवार को ही इस प्रकरण में शिकायत मिली। जिसका संज्ञान में लेते हुए तत्काल एसओ राजपुर को एनआइवीएच भेजा गया और कार्रवाई की गई। पता चला है कि छात्रा ने जुलाई में अपने प्रिसिंपल को इस बारे में बताया था, लेकिन तब यह जानकारी पुलिस तक नहीं पहुंची थी।
एनआइवीएच पर पांच महीने में तीसरा 'दाग'
एनआइवीएच पिछले कुछ समय से छात्राओं से यौन शोषण के मामलों को लेकर सुर्खियों में है। बात बीते पांच महीनों की करें तो यौन शोषण का यह तीसरा मामला है। दृष्टिबाधित छात्राओं के साथ यौन शोषण के मामले सामने आने से कहीं न कहीं संस्थान की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
पिछले महीने छात्रा के उत्पीड़न का मामला छाया रहा। मगर अब एक और प्रकरण सामने आने से संस्थान की छवि पर दाग लग गया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर संस्थान में पढऩे वाली दृष्टिबाधित छात्राओं के साथ हो रही घटनाओं का जिम्मेदार कौन है। आखिर संस्थान प्रबंधन छात्राओं की सुरक्षा को लेकर इतना लापरवाह क्यों हो गया है? यहां की छात्राएं न तो शिक्षक के साथ सहज महसूस कर रही हैं और अब न सहपाठी छात्रों के साथ। बता दें कि पूर्व में संस्थान में हुई यौन शोषण के मामलों में संगीत शिक्षकों पर आरोप लगे। दोनों ही शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है।
एनआइवीएच की चर्चित घटनाएं
- पिछले वर्ष संस्थान में बाल आयोग के निरीक्षण के दौरान खाने की गुणवत्ता व स्वच्छता में कमी पाई गई थी।
- मई माह में संगीत शिक्षक रमेश चंद्र कश्यप पर छेड़छाड़ के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ।
- 18 अगस्त को संगीत शिक्षक सुचित नारंग पर चार छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप लगे। बाद में मुकदमा दर्ज हुआ।
- 15 सितंबर को छात्रा ने एक छात्र के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की। बाल आयोग के हस्तक्षेप के बाद मुकदमा दर्ज हुआ।
प्रबंधन की सूरत बदल डाली, पर स्थिति जस की तस
हाई कोर्ट ने भी एनआइवीएच में छात्राओं के यौन शोषण की घटनाओं को लेकर सख्ती दिखाई है। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद संस्थान की निदेशक को हटाने व प्रिंसिपल-वाइस प्रिंसिपल के पद पर फेरबदल करने समेत कई अहम निर्णय लिए जा चुके हैं। नए निदेशक पर प्रो. नचिकेता का नाम भी हाल ही में तय हो चुका है। संस्थान में नियमित महिला दारोगा की तैनाती भी हो चुकी, मगर सामने आए ताजा मामले ने प्रबंधन की चुनौती बढ़ा दी है।
एनआइवीएच में 16 अगस्त से छात्राओं ने यौन शोषण के आरोपित शिक्षक की गिरफ्तारी मांग को लेकर धरना शुरू किया था। इस दौरान उन्होंने कक्षाओं का भी बहिष्कार किया। संज्ञान हाई कोर्ट ने लिया था और आरोपित शिक्षक पर मुकदमा दर्ज करने से लेकर व्यवस्थाएं बनाने के आदेश दिए। इस पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से एनआइवीएच के प्रभारी निदेशक के तौर पर आए केवीएस राव ने प्रिंसिपल के पद पर फेरबदल करते हुए डॉ. गीतिका माथुर को जिम्मेदारी सौंपी। इसके कुछ दिन बाद अनुराधा डालमिया को भी निदेशक पद से हटा दिया गया।
एनआइवीएच की प्रभारी निदेशक डॉ. गीतिका माथुर ने यौन शोषण के मामले की जांच महिला यौन शोषण समिति को सौंप दी है। माथुर ने समिति को चार सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है। माथुर ने कहा कि इसके बाद आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
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