फीचर फोन दिखा आरोग्य सेतु से बच रहे प्रवासी, पढ़िए पूरी खबर
प्रदेश पहुंचे तकरीबन 30 फीसद प्रवासियों ने आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने की बारी आने पर उनके पास स्मार्टफोन न होने की जानकारी दी। जिससे उनकी निगरानी में परेशानी हो रही है।
देहरादून, जेएनएन। सुविधा संपन्न जीवन के लिए पलायन करके प्रदेश से दूसरे राज्यों में गए कई प्रवासी वहां एक अदद स्मार्टफोन तक नहीं खरीद पाए। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि अन्य राज्यों से उत्तराखंड लौट रहे प्रवासी खुद सीमा पर बता रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश पहुंचे तकरीबन 30 फीसद प्रवासियों ने आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने की बारी आने पर उनके पास स्मार्टफोन न होने की जानकारी दी। जिससे उनकी निगरानी भी परेशानी का सबब बन गई है।
इससे पहले यह समस्या जमातियों के संबंध में भी आई थी। अधिकांश जमाती स्मार्टफोन पास न होने की बात कहकर आरोग्य सेतु एप की निगरानी से बच गए थे। हालांकि, जमातियों की संख्या कम होने की वजह से पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का सहारा लिया और सभी को ट्रेस करने में कामयाब भी रही। लेकिन, प्रवासियों के मामले में यह काम आसान होने वाला नहीं।
अब तक विभिन्न राज्यों से एक लाख से अधिक प्रवासी उत्तराखंड आ चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें करीब 30 फीसद प्रवासी ऐसे हैं, जिन्होंने राज्य की सीमा में दाखिल होते समय बताया कि उनके पास स्मार्टफोन नहीं है। ऐसे में पुलिस भी पशोपेश में पड़ गई। हालांकि, उनके मोबाइल नंबर नोट कर इस हिदायत के साथ जाने दिया गया कि अगले 14 दिन वह होम क्वारंटाइन में रहेंगे। लेकिन, जिस तरह से प्रदेश के सभी जिलों में लगातार होम क्वारंटाइन के उल्लंघन के मामले सामने आ रहे हैं। उससे प्रशासन और पुलिस की चिंता बढ़ना लाजिमी है।
रंगों से बताता है कितने सुरक्षित हैं आप
आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने के बाद मोबाइल का ब्लूटूथ और जीपीएस ऑन करते ही यह सक्रिय होकर आपके आसपास कोरोना संक्रमित व्यक्ति के बारे में जानकारी देने लगता है। यह एप रंगों के माध्यम से जोखिम के स्तर को दिखाता है। साथ ही सुझाव देता है कि आपको क्या करना चाहिए। अगर आपको ग्रीन रंग में दिखाया जाए तो मतलब आप सुरक्षित हैं। पीले रंग में दिखाए जाने का मतलब है कि आपको बहुत जोखिम है। इस दशा में तत्काल हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
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बोले अधिकारी
अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून) का कहना है कि आरोग्य सेतु एप डाउनलोड न करने वाले प्रवासियों का अलग से डाटा रखा जा रहा है। उनके मोबाइल नंबर संबंधित जिलों को भेजे जा रहे हैं। होम क्वारंटाइन का उल्लंघन करने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है। अब तक 250 से अधिक मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।