संभागीय परिवहन प्राधिकरण गढ़वाल मंडल की बैठक टली
दस साल पुराने वाहनों के संचालन पर रोक को लेकर नीति बनाने समेत कई अहम मामलों पर फैसलों के लिए 16 दिसंबर को होने जा रही आरटीए की बैठक फिर निरस्त हो गई।
देहरादून, जेएनएन। दस साल पुराने वाहनों के संचालन पर रोक को लेकर नीति बनाने समेत कई अहम मामलों पर फैसलों के लिए 16 दिसंबर को होने जा रही संभागीय परिवहन प्राधिकरण गढ़वाल मंडल (आरटीए) की बैठक फिर निरस्त हो गई। पिछले डेढ़ माह में तीसरी मर्तबा बैठक निरस्त हुई है। प्राधिकरण के सचिव व दून के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई के मुताबिक जिला पंचायत चुनाव में रिक्त सीटों पर होने वाले चुनाव की आचार संहिता प्रभावी होने से बैठक को निरस्त किया गया है। आचार संहिता खत्म होने के बाद ही बैठक की नई तिथि तय की जाएगी।
पहले यह बैठक चार नवंबर को होने जा रही थी, लेकिन तब भी पंचायत चुनाव की आचार संहिता प्रभावी थी। इसके बाद यह बैठक 19 नवंबर को होनी थी, लेकिन तब भी पंचायत चुनाव के लिए जिला पंचायतों के अध्यक्षों व ब्लाक प्रमुखों के चुनाव की आचार संहिता लागू थी। इसके बाद बैठक की नई तिथि 16 दिसंबर तय की गई, मगर अब पंचायतांे की रिक्त सीटों पर मतदान की वजह से लागू आचार संहिता का पेंच अड़ गया। आरटीए बैठक को लेकर ट्रांसपोर्टरों में उत्साह और विरोध दोनों थे।
उत्साह दून व हरिद्वार में नए परमिटों को लेकर है, जबकि विरोध दस साल पुराने वाहनों पर पाबंदी से जुड़ी नीति को लेकर है। बैठक में दस साल पुराने वाहनों को लेकर होने वाले फैसले के विरोध में ट्रांसपोर्टरों ने अभी से आंदोलन व हड़ताल की तैयारी भी कर ली थी। बैठक में दून-सेलाकुई सिटी बस के अलावा दून से कालसी मार्ग पर निजी बसों के परमिट, परेड ग्राउंड और रायपुर से मालदेवता मार्ग पर सिटी बसों की संख्या को बढ़ाने पर भी फैसला होना था। यही नहीं परेड ग्राउंड से शिमला बाइपास पर भी मिनी बसों की भी संख्या बढ़ाई जानी थी। शहर में आंतरिक मार्गो पर टाटा मैजिक भी बढ़ाने पर फैसला होना था।
तकरीबन एक वर्ष के बाद होने जा रही प्राधिकरण बैठक में एजेंडा परिवहन सेवाओं में बढ़ोत्तरी का था। आरटीए सचिव दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि आरटीए की बैठक में नीति बनाई जानी है कि कैसे पुराने वाहनों को धीरे-धीरे चलन से बाहर किया जा सके।
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सेलाकुई रूट पर लेकर विवाद
बैठक में एक अहम मामला देहरादून से सेलाकुई के लिए सिटी बसों के परमिट का भी है। सरकार ने इस रूट पर सिटी बसों के परमिट देने की तैयारी की हुई है। विरोध में विकासनगर-डाकपत्थर बस यूनियन ने इस मामले में आपत्ति लगाई हुई है। यूनियन ने इसे लेकर हाईकोर्ट जाने की चेतावनी भी दी हुई है। दरअसल, इस मार्ग पर विकासनगर बस यूनियन अपनी ‘दादागिरी’ चलाती है। दूसरे प्राइवेट ऑपरेटरों को यहां चलने नहीं दिया जाता। रोडवेज बसों को भी इस मार्ग पर परेशानी उठानी पड़ती है। चाक-चौराहों से विकासनगर यूनियन के सदस्य रोडवेज बसों को सवारी नहीं उठाने देते।
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