उत्तराखंड से मीरा कुमार को मिल पाएंगे 27 फीसद वोट
राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को उत्तराखंड से तकरीबन 27 फीसद वोट ही उनके खाते में जा पाएंगे। वह निर्दलीयों को रिझाने में कामयाब नहीं हो सकी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने अंतरात्मा की आवाज के बूते विधायकों और सांसदों से वोट भले ही मांगे हों, लेकिन उत्तराखंड से तकरीबन 27 फीसद वोट ही उनके खाते में जा पाएंगे। कांग्रेस अपनी उम्मीदवार के लिए निर्दलीयों को रिझाने में कामयाब नहीं हो सकी।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार केंद्र की सियासत में अहम जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। दून में जब वह कांग्रेस विधायकों और सांसदों से मुलाकात को पहुंची तो 11 में से 10 विधायक और तीन राज्यसभा सांसदों में दो ही मौजूद थे।
हालांकि, दून में गैर मौजूद राष्ट्रपति चुनाव के ये दोनों ही मतदाता कांग्रेस के लिए ही अपनी अलग-अलग जिम्मेदारी को अंजाम देने में व्यस्त थे। प्रदेश में कांग्रेस के सभी 11 विधायक राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी मीरा कुमार के बीती 25 जून को नामांकन के दौरान प्रस्तावक बन चुके हैं।
उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद राज बब्बर की लखनऊ दौरे के दौरान मीरा कुमार से मुलाकात तय है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में कांग्रेस को उत्तराखंड से बड़ा झटका भी लगा है। दो निर्दलीय विधायक इस चुनाव में भाजपा के पाले में खड़े हो गए हैं। हालांकि, एक निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार तो पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। पार्टी दोनों निर्दलीयों को राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपने साथ जोड़े नहीं रख पाई।
प्रदेश की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। वहीं पांच लोकसभा सांसद भी भाजपा के ही हैं। राज्य में विधानसभा के एक सदस्य के पास 64 और सांसद के पास 708 मत हैं।
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 17 जुलाई को होना है। राज्य में कुल 10144 मतों में से दो निर्दलीय विधायकों के मत समेत 7316 मत एनडीए प्रत्याशी को मिलना तकरीबन तय है। कांग्रेस के पास राज्य में 11 विधायकों और तीन राज्यसभा सांसदों को मिलाकर 2828 मत हैं। राष्ट्रपति चुनाव में व्हिप जारी करने की व्यवस्था नहीं है।
इस वजह से विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार की ओर से अंतरात्मा की आवाज पर वोट मांगकर सत्तापक्ष के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश की तो जा रही है, लेकिन यह स्थिति दोधारी तलवार सरीखी भी है। हर दल के सामने मतों के बिखराव को रोकने की चुनौती भी है।
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