जन्मदिन पर उठी एमबीबीएस छात्र दिलीप की अर्थी, परिवार सदमे में
एमबीबीएस छात्र दिलीप के परिजनों ने बताया कि रविवार को दिलीप का जन्मदिन भी था। मगर इस दिन उसकी अर्थी उठने से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
देहरादून, जेएनएन। गुरुग्राम से परिजनों के पहुंचने के बाद रविवार दोपहर में गमगीन माहौल में एमबीबीएस के छात्र दिलीप कुमार का पोस्टमार्टम कराया गया। इस दौरान उसके पिता का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों ने बताया कि रविवार को दिलीप का जन्मदिन भी था। मगर इस दिन उसकी अर्थी उठने से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
बता दें, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र दिलीप कुमार निवासी मकान नंबर 5, गली नंबर आठ, शीतला कॉलोनी, गुरुग्राम, हरियाणा ने हास्टल में अपने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। उसका शव शनिवार देर रात कमरे का दरवाजा तोड़ कर निकाला गया। हास्टल में उसके कमरे के अगल-बगल रहने वाले छात्रों का कहना था कि शुक्रवार को दिलीप ने सभी को मिठाई खिलाई थी और साथ में खाना भी खाया था।
उसने दोस्तों को बताया कि वह मिठाई घर से लाया है। तब तक दिलीप ठीक लग रहा था, लेकिन शुक्रवार शाम के बाद से वह कमरे से बाहर नहीं आया। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दिलीप न शुक्रवार को किसी समय या शनिवार को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। इसकी खबर पुलिस ने शनिवार देर रात ही दिलीप के पिता विशन कुमार को दे दी थी।
बेटे का शव देख फफक पड़े विशन
दिलीप के पिता विशन कुमार नाते-रिश्तेदारों के साथ रविवार तड़के देहरादून पहुंचे। तब तक उन्हें केवल इतना बताया गया था कि उनके बेटे की तबीयत काफी खराब है। मगर जब पुलिस उन्हें अस्पताल के वार्ड में ले जाने के बजाय श्री महंत इंदिरेश अस्पताल की मोर्चरी में ले गई और वहां दिलीप का शव दिखाया गया तो वह फफक पड़े और दिलीप के शव को पकड़कर दहाड़े मारकर रोने लगे। लोगों ने किसी तरह उन्हें संभाला।
मोबाइल में थी 75 मिस्ड कॉल
दिलीप का फोन शुक्रवार रात से नहीं उठ रहा था। उसके कमरे से मिले मोबाइल में तब तक 75 मिस्ड कॉल हो चुकी थीं। पुलिस पैटर्न लॉक होने के चलते मोबाइल को नहीं खोल पाई। ऐसे में इस बात का भी पता नहीं चल पाया कि दिलीप ने सुसाइड करने से पहले किसी को फोन या वाट्सएप पर मैसेज किया था या नहीं।
गुरुग्राम में होगा अंतिम संस्कार
पहले तो विशन कुमार बेटे के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन पुलिस द्वारा तकनीकी और कानूनी पहलू की जानकारी देने के बाद वह पीएम के लिए तैयार हुए। पीएम के बाद वह दिलीप के शव को लेकर गुरुग्राम चले गए। बताया कि उसका अंतिम संस्कार वहीं करेंगे।
पढ़ाई में होनहार था दिलीप
दिलीप के पिता विशन कुमार मूलरूप से चुरू, राजस्थान के रहने वाले हैं। मगर पिछले कई वर्षो से वह गुरुग्राम में ही रह रहे हैं। उनका वहां कपड़ों पर कढ़ाई काम का है। दिलीप दो भाई हैं, छोटा भाई अभी इंटर में है। दिलीप पढ़ाई में काफी होनहार था, जब 2017 में उसका मेडिकल में दाखिला हुआ तो परिवार की खुशियां और बढ़ गई। वह बेटे के डाक्टर बनने का सपना देखने लगे थे।
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