रैन बसेरों और अलाव का सच देखने निकले महापौर, अधिकारियों को दिए यह निर्देश
सर्द मौसम में बेसहारा जनों को आसरा देने के लिए बने नगर निगम के चार रैन बसेरों की व्यवस्था का सच देखने के लिए रविवार की रात महापौर सुनील उनियाल गामा खुद शहर में निकले। उन्होंने न केवल रैन बसेरे का निरीक्षण किया ।
जागरण संवाददाता, देहरादून: सर्द मौसम में बेसहारा जनों को आसरा देने के लिए बने नगर निगम के चार रैन बसेरों की व्यवस्था का सच देखने के लिए रविवार की रात महापौर सुनील उनियाल गामा खुद शहर में निकले। उन्होंने न केवल रैन बसेरे का निरीक्षण किया बल्कि नगर निगम द्वारा चाक-चौराहों पर जलाए जा रहे अलाव की स्थिति भी देखी।
निरीक्षण में पाया गया कि कोविड के चलते अभी बेहद कम संख्या में लोग रैन बसेरों में शरण ले रहे हैं। महापौर ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोई भी व्यक्ति बाहर फुटपॉथ या सड़क पर न सोये। इन सभी को रैन बसेरों में रखा जाए। इसके साथ ही कोविड-19 के लिए जारी सरकार की गाइड-लाइन का अनुपालन करने के भी निर्देश दिए। रविवार रात महापौर गामा ने सबसे पहले पटेलनगर निरंजनपुर मंडी में जलाए जा रहे अलाव का निरीक्षण किया। महापौर ने यहां रुककर अलाव ताप रहे आमजन से उनका हालचाल भी पूछा और अलाव रोजाना जल रहा या नहीं, इसकी जानकारी भी ली। इस दौरान संतोषजनक जवाब मिलने के बाद महापौर लालपुल स्थित रैन बसेरे में पहुंचे। यहां एक कमरे में पीएसी के जवान रह रहे थे, जबकि बाकी कमरों में बेहसरा जन के रुकने की व्यवस्था थी। बिस्तर और अन्य व्यवस्थाएं चाक-चौबंद मिलने पर महापौर रेलवे स्टेशन पहुंचे व अलाव का निरीक्षण कर आग तापने वाले आमजन से बातचीत की। इसके बाद वे घंटाघर पहुंचे व अलाव के निरीक्षण के दौरान आसपास खड़े लोगों से बातचीत की। इस दौरान कुछ लोग ऐसे थे, जो आगंतुक का इंतजार कर रहे थे या कोई अपने स्वजन को लेने के लिए पहुंचा था। महापौर ने निगम अधिकारियों को यह निर्देश दिए कि पाले में कोई ऐसे ना खड़ा रहे। आमजन के लिए कोई शेड का निर्माण कराया जाए।
इसके बाद महापौर चुक्खुवाला रैन बसेरे में पहुंचे। यहां करीब 20 लोग ठहरे हुए थे। महापौर ने उनसे बातचीत की तो पता चला कि कोई अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए दून आया हुआ है तो कोई दुकान पर नौकरी करता है। ठहरने की सस्ती और सुलभ व्यवस्था देखते हुए ये रैन बसेरे में रुके हुए थे। इसके बाद महापौर ने कनक चौक, सर्वे चौक के अलाव का निरीक्षण कर चूना भट्टा रैन बसेरे का निरीक्षण भी किया। हालांकि, वहां सिर्फ दो लोग ठहरे हुए थे। वहां ठंड से बचाव के लिए कुछ निर्माण कार्य होना है। महापौर ने तत्काल कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए। महापौर ने बताया कि सभी रैन बसेरों में बिस्तरों और अन्य जन सुविधाओं का पूरा इंतजाम है। कोरोना के मद्देनजर यहां ठहरने वालों की सबसे पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है और फिर छह-छह फुट की दूरी पर उनके बिस्तर लगाए गए हैं।
25 नवंबर से खोले थे रैन बसेरे
हर साल रैन बसेरे दिसंबर में खोले जाते हैं लेकिन इस मर्तबा मौसम ने नवंबर में ही कड़ाके की ठंड का अहसास कराने पर 25 नवंबर से ही नगर निगम ने रैन बसेरे खोल दिए थे। सड़कों पर बेसहारा सोने वालों की सुध लेते हुए महापौर ने निगम के घंटाघर, पटेलनगर लालपुल, रायपुर व आइएसबीटी ट्रांसपोर्टनगर स्थित रैन बसेरों में सुविधा के पूरे इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। इसका सच जानने के लिए ही महापौर रविवार की रात शहर में निकले।
सड़क पर सोने वालों को पुलिस दिलाए रैन बसेरे में आसरा
महापौर ने निगम अधिकारियों और पुलिस को निर्देश दिए हैं कि शहर का भ्रमण करते रहें व बेसहारा जनों को रैन बसेरे में आश्रय दिलाने का कार्य किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि ठंड में कोई भी रात को सड़क या फुटपॉथ पर नहीं सोये। निरीक्षण के दौरान उन्हें पटेलनगर मंडी में कुछ लोग सड़क पर बेसहारा सोते हुए मिले तो उन्होंने तत्काल पुलिस को फोन कर बुलाया और उन सभी को रैन बसेरे भेजने के निर्देश दिए। महापौर ने बताया कि निगम के चारों रैन बसेरों में करीब ढाई सौ लोगों के सोने की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि, इनमें अधिक संख्या में लोग रह सकते हैं, लेकिन कोरोना को देख शारीरिक दूरी का पालन करते हुए ही इनमें आश्रय दिया जा रहा।
घंटाघर अलाव में खुद डाली लकड़ी
महापौर निरीक्षण के दौरान जब घंटाघर पहुंचे तो वहां अलाव जल तो रहा था मगर कुछ देर बाद बुझ जाता। उसमें लकड़ी ही खत्म हो गई थी। हालांकि, अलाव के पास ही पर्याप्त लकड़ी मौजूद थीं। महापौर गामा ने खुद ही लकड़ी उठाकर अलाव में डाली। यह देख बाद में अन्य लोग भी सहायता में लग गए।
बढ़ेंगे अलाव और लकड़ी
निरीक्षण के बाद महापौर ने नगर निगम के अधिकारियों को शहर में अलाव की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां भी आमजन की आवाजाही ज्यादा रहती है, उन सभी स्थानों पर अलाव जलाए जाएंगे। इसके अलावा रेलवे स्टेशन व घंटाघर जैसे बड़े स्थलों पर अलाव के लिए लकड़ी भी बढ़ाने के निर्देश दिए गए, ताकि अलाव पूरी रात जल सकें।