Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या को लेकर क्या है मान्यता, गंगा स्नान का विशेष महत्व; जानें- शुभ मुहूर्त
Mauni Amavasya 2022 सोमवार दोपहर 222 बजे से शुरू हुई अमावस्या तिथि मंगलवार सुबह 11 बजे तक रहेगी। हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) होती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Mauni Amavasya 2022 मौनी अमावस्या आज है। श्रद्धालु स्नान, व्रत और दान कर पुण्य कमाएंगे। सोमवार दोपहर 2:22 बजे से शुरू हुई अमावस्या तिथि मंगलवार सुबह 11 बजे तक रहेगी। हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) होती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में मौन रहकर स्नान का विधान है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं को निवास स्थान होता है। इसलिए गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
किसी भी व्रत के लिए उदया तिथि का महत्व
उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगाई के अनुसार किसी भी व्रत के लिए उदया तिथि का महत्व है। मौनी अमावस्या की उदया तिथि (Udaya Tithi) एक फरवरी को होने के कारण इस दिन अमावस्या का स्नान, दान पुण्य, तीर्थ व्रत किया जाएगा। पितृ दोष (Pitru Dosh) से ग्रसित करें उपाय आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रसित है तो उन्हें अमावस्या के दिन ये उपाय करने चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देकर मंत्र जाप करें स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें।
सूर्य को अर्घ्य देकर करें मंत्र का जाप
ब्रह्म मुहूर्त (Brahm Muhurt Snan) में नदी, सरोवर अथवा पवित्र कुंड में स्नान करें। इसके बाद जल में काले तिल सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र जाप करें और दान आदि करें। श्रद्धालु अनाज, वस्त्र, तिल, आवला, कंबल, पलंग, घी और गोशाला में गाय के लिए भोजन दान कर सकते हैं। मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखकर यदि संभव हो मौन व्रत धारण करें। क्रोध न करें। किसी को अपशब्द न कहें। मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं को ईश्वर की भक्ति में लीन रहना चाहिए। मीठा भोजन के साथ व्रत खोलें।
पितृ दोष से ग्रसित करें उपाय
आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रसित है तो उन्हें अमावस्या के दिन ये उपाय करने चाहिए।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।