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वित्त मंत्री प्रकाश पंत के पिटारे ने मेनिफेस्टो को लगाए पंख

वित्त मंत्री प्रकाश पंत के बजट के पिटारे से का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकार ने विधानसभा चुनाव के वक्त किए गए अपने वादों को धरातल पर उतारने की मंशा जाहिर की है।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 23 Mar 2018 08:49 AM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 11:12 AM (IST)
वित्त मंत्री प्रकाश पंत के पिटारे ने मेनिफेस्टो को लगाए पंख
वित्त मंत्री प्रकाश पंत के पिटारे ने मेनिफेस्टो को लगाए पंख

देहरादून, [विकास धूलिया]: वित्त मंत्री प्रकाश पंत के बजट के पिटारे से समाज के हर तबके के लिए कुछ न कुछ तोहफा निकला। बात चाहे महिलाओं की हो, युवा वर्ग की या फिर समाज के पिछड़े तबके की, बजट में किसी को निराश नहीं किया गया है। राज्य में अगले महीने होने वाले निकाय चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार की तैयारियों की झलक बजट में साफ नजर आ रही है। बजट का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकार ने विधानसभा चुनाव के वक्त किए गए अपने वादों को धरातल पर उतारने की मंशा जाहिर की है।

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उत्तराखंड में मौजूदा समय में भाजपा का एकछत्र राज है। राज्य की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा के ही पास हैं तो विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने 70 में से 57 सीटों पर परचम फहराया। जनादेश एकतरफा मिला है तो इसी के मुताबिक जन आकांक्षाओं में बढ़ोतरी भी लाजिमी ही है। 

लिहाजा, सरकार पर निश्चित तौर पर यह दबाव है कि वह जनादेश का सम्मान कर भविष्य का रोडमैप तैयार करे। दरअसल, भाजपा की प्रदेश सरकार के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं कि आगामी निकाय चुनाव और फिर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराया जाए।

गुरुवार को भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में प्रदेश सरकार ने कर रहित बजट पेश कर भले ही वाहवाही बटोरने की कोशिश की हो, लेकिन इसमें आगामी निकाय व लोकसभा चुनाव की छाया साफ परिलक्षित हो रही है। बजट में तमाम योजनाओं में जिस तरह केंद्रीय योजनाओं का समावेश किया गया है, उससे साफ है कि सरकार एक तीर से दो निशाने साध रही है। 

विभिन्न विभागों की योजनाओं के लिए ठीकठाक बजट होने से जहां सरकार जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश करेगी, वहीं केंद्र सरकार की योजनाओं को गिना कर लोकसभा चुनाव के लिए माहौल भी तैयार करेगी। यानी, रणनीति पूरी तरह डबल इंजन का लाभ लेने की है।

महत्वपूर्ण बात यह भी कि बजट में भाजपा सरकार ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव के वक्त किए गए अपने वादों और घोषणाओं को पूरा करने का इरादा जाहिर किया है। 

बजट में खेती किसानी को प्रोत्साहन के लिए तमाम प्रावधान शामिल किए गए हैं तो पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या पलायन पर अंकुश के ठोस इच्छाशक्ति भी नजर आ रही है। ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने और गांवों में शहरों की तरह सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात भी बजट का अहम हिस्सा है। 

कहा जा सकता है कि अगर बजट प्रावधानों को ईमानदारी से धरातल पर उतारा गया तो ग्रामीण क्षेत्र में जीवन स्तर में तो सुधार होगा ही, साथ ही पलायन पर भी प्रभावी अंकुश लग सकेगा।

महिलाओं की ही तरह युवा वर्ग पर भी सरकार का खास फोकस बजट में नजर आ रहा है। राज्य में बेरोजगारों की बड़ी संख्या को देखते हुए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की मंशा जताकर सरकार ने एक बड़े तबके को खुद से जोडऩे की पहल की है। 

उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से अत्यंत पिछड़ा रहा है और आज भी पहाड़ी जिलों में अधिकांश अस्पताल डॉक्टर और जरूरी सुविधाओं से विहीन हैं। इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को भी अहमियत दी गई है। शहरी क्षेत्र को बजट में काफी महत्व दिया गया है तो संकेत साफ हैं कि सरकार की नजर आगामी निकाय चुनावों पर टिकी है।

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