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Coronavirus: पटरी पर नहीं उतरा फल-सब्जी का कारोबार, स्थानीय किसानों पर नजर

निरंजनपुर सब्जी मंडी खुल चुकी है और यहां कारोबार भी शुरू हो चुका है। कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते कारोबार पटरी से उतरा हुआ है। अब स्थानीय किसानों पर आढ़तियों की नजर है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 09:20 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 11:41 AM (IST)
Coronavirus: पटरी पर नहीं उतरा फल-सब्जी का कारोबार, स्थानीय किसानों पर नजर
Coronavirus: पटरी पर नहीं उतरा फल-सब्जी का कारोबार, स्थानीय किसानों पर नजर

देहरादून, जेएनएन। निरंजनपुर सब्जी मंडी खुल चुकी है और यहां कारोबार भी शुरू हो चुका है। कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते प्रमुख राज्यों से आवक न होने और वेंडरों के भी दिलचस्पी न लेने से कारोबार पटरी से उतरा हुआ है। अब मंडी के आढ़तियों ने स्थानीय किसानों को साधने को कमर कस ली है। फिलहाल आढ़ती हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश के साथ ही स्थानीय किसानों से सब्जी खरीदने को तवज्जो दे रहे हैं। 

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निरंजनपुर मंडी फिर से खुल चुकी है, लेकिन तमाम बंदिशों के कारण कारोबार पटरी पर नहीं आ रहा है। जिससे शहर में आपूर्ति भी घट गई है और दाम बढ़ने लगे हैं। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए फिलहाल उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे रेड जोन वाले राज्यों से आवक बंद है। अब हरियाणा, राजस्थान से आवक हो रही है। यहां से माल मंगवाना आढ़तियों को महंगा पड़ रहा है। 

ऐसे में स्थानीय किसानों की अहमियत और बढ़ गई है। आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र आनंद ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण कारोबार पटरी से उतरा हुआ है। संक्रमण के चलते डिमांड भी घट गई है और आवक भी। ऐसे में सकलाना पट्टी, जौनपुर, जौनसार, पुरोला आदि के किसानों से संपर्क साध फल-सब्जी मंगवाने का प्रयास किया जा रहा है। 

हालांकि, स्थानीय किसानों से केवल पहाड़ी आलू, हरा धनिया, बीन्स, टमाटर, कटहल और आम-लीची ही उपलब्ध हो रहा है। अन्य सब्जियां बाहर से मंगवाई जा रही हैं। किसानों के पास वाहन भेजकर उत्पाद सीधे मंडी पहुंच रहा है। 

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मंडी में पहुंच रहे आधे खरीदार 

निरंजनपुर मंडी में आढ़ती तो कम संख्या में पहुंच रहे हैं, खरीदारों की संख्या भी बेहद कम है। मंडी में सुबह चार बजे से आठ बजे तक सब्जी का कारोबार किया जा रहा है और एक समय में केवल 100 वेंडरों को प्रवेश दिया जा रहा है। जबकि, यहां 50 वेंडर भी नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं, 75 आढ़तियों को दुकान खोलने की अनुमति है, लेकिन व्यापार न होने के कारण आढ़ती भी महज 40 फीसद ही मंडी पहुंच रहे हैं।

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