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    Lumpy Virus: उत्तराखंड में लंपी वायरस ने ली 288 पशुओं की जान, जानिए किस जिले में क्या है स्थिति...?

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandey
    Updated: Sat, 10 Jun 2023 04:46 PM (IST)

    देहरादून प्रदेश में जानवरों पर लंपी वायरस लगातार कहर बरपा रहा है। अब तक इस वायरस के 15331 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 288 जानवरों की मौत हो चुकी है। मरने वाले जानवरों में सबसे ज्यादा गोवंशी शामिल हैं।

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    उत्तराखंड में लंपी वायरस के 15331 मामले सामने आ चुके हैं। 288 जानवरों की मौत हो चुकी है

    जागरण संवाददाता, देहरादून : प्रदेश में जानवरों पर लंपी वायरस लगातार कहर बरपा रहा है। अब तक इस वायरस के 15331 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 288 जानवरों की मौत हो चुकी है। मरने वाले जानवरों में सबसे ज्यादा गोवंशी शामिल हैं। मामलों की भयावह स्थिति देखते हुए विभाग ने वैक्सीनेशन का कार्य तेज कर दिया है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 18 मई तक प्रदेश में लंपी वायरस के 6215 मामले मिले थे जो 18 मई से आठ जून यानी करीब तीन हफ्ते में ढाई गुना बढ़ गए हैं। वहीं अब तक 12 हजार 767 पशु इस वायरस की चपेट में आने के बाद अब रिकवर हो चुके हैं।

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    चम्पावत जिला लंपी वायरस से अधिक प्रभावित

    वर्तमान में चम्पावत जिला इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित है। यहां 2512 मामले सामने आए हैं और 127 जानवर अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि पिथौरागढ़ में सबसे अधिक 3948 मामले सामने आए हैं। पशुपालन निदेशक डा. प्रेम कुमार ने बताया कि लंपी वायरस के मामलों से निपटने के लिए विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। आठ जिलों में 52 उपरिकेंद्र बनाए गए है। लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) की रोकथाम के लिए अब तक 11 लाख चार हजार 900 पशुओं का वैक्सीनेशन किया जा चुका है।

    निदेशक पशुपालन डा. प्रेम कुमार के अनुसार, लंपी स्किन डिजीज कुछ जिलों में जरूर चुनौती है। विभाग इस पर लगातार नजर बनाए है। तकरीबन सवा तीन सौ टीम ब्लाकों में भेजी गई हैं। प्रत्येक टीम में दो से तीन लोग शामिल हैं। संक्रमित क्षेत्र पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पूरे क्षेत्र में वैक्सीनेशन करें व इसमें तेजी लाएं।

    संक्रमित के संपर्क में दूसरा पशु भी हो सकता है बीमार

    लंपी स्किन डिजीज को गांठदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है। यह संक्रामक बीमारी एक पशु से दूसरे को होती है। संक्रमित के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है। इसमें संक्रमित पशु के लक्षण की बात करें तो बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, शरीर पर दाने, दूध कम देना, भूख ना लगना आदि है।

    जिलेवार लंपी स्किन डिजीज की स्थिति

    जिला - मामले - मृत्यु - वैक्सीन लगी - रिकवर

    अल्मोड़ा -1090 - 19 - 86635 - 1053 

    बागेश्वर - 3869 - 52 - 46440 - 3480

    चमोली - 1178 - 23 - 79120 - 915

    चम्पावत - 2512 - 127 - 59260 - 2101

    देहरादून - 00 - 00 - 104672 - 00

    हरिद्वार - 00 - 00 - 93062 - 00

    नैनीताल - 1919 - 19 - 114052 - 1138

    पौड़ी - 152 - 10 - 119754 - 137

    पिथौरागढ़ - 3948 - 25 - 94209 - 3467

    रुद्रप्रयाग - 523 - 13 - 51199 - 411

    टिहरी - 21 - 00 - 51020 - 10

    ऊधम सिंह नगर - 00 - 00 - 137136 - 00

    उत्तरकाशी - 119 - 00 - 67341 - 55

    कुल - 15331 - 288 - 1104900 - 12767

    संक्रमित के संपर्क में दूसरा पशु भी हो सकता है बीमार

    लंपी स्किन डिजीज को गांठदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है। यह संक्रामक बीमारी एक पशु से दूसरे को होती है। संक्रमित के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है। इसमें संक्रमित पशु के लक्षण की बात करें तो बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, शरीर पर दाने, दूध कम देना, भूख ना लगना आदि है।

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