Dehradun: पैरा एथलीट छात्रा को दाखिला न देने वाले स्कूलों की होगी जांच, सातवीं की छात्रा हैं होप टेरेसा डेविड
देहरादून पैरा एथलीट छात्रा होप टेरेसा डेविड को दून के तकरीबन आठ स्कूलों में दाखिला न देने के मामले पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने इस मामले को गंभीर बताते हुए दाखिला न देने वाले स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: पैरा एथलीट छात्रा होप टेरेसा डेविड को दून के तकरीबन आठ स्कूलों में दाखिला न देने के मामले पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने इस मामले को गंभीर बताते हुए खंड शिक्षा अधिकारी रायपुर को दाखिला न देने वाले स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) प्रदीप कुमार रावत के अनुसार, मामला संज्ञान में आने के बाद छात्रा के अभिभावकों को वार्ता के लिए बुलाया गया था। रायपुर के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने पूरे मामले को जाना। जिसमें अभिभावक ने कई स्कूलों की ओर से व्हीलचेयर रैंप की व्यवस्था न होने पर छात्रा को दाखिला न देने की बात रखी। सीईओ ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है। ऐसे में खंड शिक्षा अधिकारी को पूरे मामले की जांच कर अवगत कराने को कहा गया है।
ये है मामला
जाखन निवासी सातवीं में पढ़ने वाली होप टेरेसा डेविड की मां शिल्पी डेविड गृहणी जबकि पिता मर्चेंट नेवी में हैं। शिल्पी के अनुसार, वर्ष 2017 में होप को राजपुर रोड स्थित सेंट जोजफ्स एकेडमी में यूकेजी में दाखिला दिलाया। यहां लिफ्ट व रैंप ना होने से परेशानी होने लगी। 2019 में गुड़गांव जाने का निर्णय लिया। यहां एक स्कूल में दाखिला कराया। नौ वर्ष की उम्र से होप ने स्पोर्ट्स खेलना शुरू किया लेकिन वहां स्टेडियम दूर होने से वापस देहरादून आने का मन बनाया ताकि घर पर ट्रेनिंग भी पूरी हो सके। बीते अप्रैल में राजपुर रोड, रेसकोर्स, कान्वेंट चौक क्षेत्र समेत आठ स्कूलों में दाखिला के लिए पहुंचे लेकिन सभी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि स्कूल में रैंप, लिफ्ट व्हीलचेयर की सुविधा नहीं है। मई में बाल संरक्षण आयोग से मामले की शिकायत की। इसके बाद भी दाखिला नहीं मिला। मई अंतिम सप्ताह में होप टेरेसा डेविड की बेंगलुरु में मैराथन थी तो वहां कुछ स्कूल तलाशे। बेहतर पढ़ाई व स्पोर्ट्स को देखते हुए यलाहंका के साधु वासवानी इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला की फीस व दस्तावेज संबंधी कार्य पूरे कर लिए हैं।
जो पूरी तरह सक्षम नहीं हैं उनका क्या होगा
शिल्पी डेविड के अनुसार, वह तो पूरी तरह सक्षम हैं व किसी भी स्कूल में बेटी का दाखिला करवा सकती हैं लेकिन उनका क्या होगा जो पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। उन्हें बार बार इसी तरह स्कूलों के चक्कर काटने पड़ेंगे। बताया कि वह भी दिव्यांग छात्रों के अभिभावकों के साथ है। उनके साथ मिलकर स्कूलों में दिव्यांगों के लिए सुविधा की मांग शिक्षा विभाग से करेंगी।
ओपन मैराथन में लिया भाग
होप टेरेसा डेविड ने फरवरी माह में दुबई में ओपन मैराथन की चार किलोमीटर 35 मिनट में पूरा किया। उन्होंने बीते 21 मई को बेंगलुरु में 4.2 किलोमीटर मैराथन 30 मिनट में पूरी की। होप की मां शिल्पी डेविड ने बताया कि व्हील चेयर रेसिंग व टेनिस की ट्रेनिंग चल रही है। 14 वर्ष पूर्ण होने पर वह पैरा एथलीट में प्रतिभाग करेंगी।
कोई भी स्कूल दाखिला देने से नहीं कर सकता मना
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी डा. रणबीर सिंह का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है लेकिन कोई भी स्कूल छात्रों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकता। यह नियमों के खिलाफ है।
सुविधा ना होना सीबीएसई गाइडलाइन की अनदेखी
प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. प्रेम कश्यप का कहना है कि कोई भी बच्चा स्कूल में आता है तो रिक्त सीट होने पर उसे दाखिला देना स्कूल की प्राथमिकता है। स्कूल का दिव्यांग छात्रा के लिए सुविधा ना होने जैसे बात सीबीएसई गाइडलाइन की अनदेखी है। दिव्यांग के लिए व्हीचलेयर, लिफ्ट, टायलेट समेत कई सुविधाएं होनी चाहिए। सरकार को भी स्कूलों में सुविधा पर ध्यान देना चाहिए।
बाल आयोग ने शिक्षा निदेशक को लिखा पत्र
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण ने बताया कि इस मामले में शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर संबंधित स्कूलों की जांच व कार्रवाई के लिए कहा गया हे। बच्चों के भविष्य को स्कूल ही अनदेखा करेंगे तो अभिभावक कहां जाएंगे। बच्चों के साथ इस तरह का खिलवाड़ पर आयोग सख्त है।
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