औली में कम बर्फबारी से स्कीइंग प्रेमी निराश, ट्रेनिंग कोर्स में रिकॉर्ड गिरावट
औली में कम बर्फबारी से स्कीइंग के शौकीन निराश हैं। इस सीजन में अब तक महज 59 पर्यटकों ने स्कीइंग ट्रेनिंग कोर्स में हिस्सा लिया है जो आठ वर्षों में सबसे कम है। कम बर्फबारी के कारण स्नो स्कीइंग के लिए अनुकूल ट्रैक तैयार नहीं हो पाया है। पर्वतारोहण अनुभाग वरिष्ठ प्रबंधक वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया चमोली जिले में स्थित औली स्कीइंग के लिए देशभर में विख्यात है।

गौरव ममगाईं, ऋषिकेश। स्नो स्कीइंग के लिए विख्यात उत्तराखंड के चमोली जिले के औली में इस सीजन में कम बर्फबारी से स्कीइंग प्रेमियों को निराशा हाथ लगी है। कम बर्फ पड़ने के कारण स्नो स्कीइंग के लिए अनुकूल ट्रैक तैयार नहीं हो पाया है, जिस कारण गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के स्कीइंग ट्रेनिंग कोर्स में इस बार साहसिक खेल प्रेमियों का संकट नजर आ रहा है। इस सीजन में जनवरी 2025 से अब तक महज 59 पर्यटकों ने कोर्स में हिस्सा लिया, जो आठ वर्षों में सबसे कम है।
चमोली जिले का औली बुग्याल प्राकृतिक सौंदर्य और स्नो फाल के लिए सबसे रोमांचित करने वाला स्थल है। यहां दिसंबर-जनवरी माह के बीच चार से छह फीट तक बर्फ पड़ती है। इसलिए इस स्थल को स्नो स्कीइंग के लिए विकसित किया गया है। यहां पर्यटन विभाग की ओर से विंटर गेम्स का भी आयोजन किया जाता है। वहीं, जीएमवीएन की ओर से जनवरी से मार्च माह के मध्य यहां पर्यटकों को स्नो स्कीइंग की ट्रेनिंग भी दी जाती है। जिसमें बेसिक व एडवांस कोर्स शामिल हैं।
हर वर्ष यहां औसतन 120 से 250 पर्यटक स्कीइंग का प्रशिक्षण लेने पहुंचते हैं, लेकिन इस सीजन में जीएमवीएन के कोर्स में सबसे कम पंजीयन दर्ज हुए हैं। स्कीइंग कोर्स, जीएमवीएन की आय के प्रमुख स्रोत में माना जाता है। ऐसे में इस सीजन में कोर्स में सबसे बड़ी गिरावट आने से जीएमवीएन को भी बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है।
जीएमवीएन के पर्वतारोहण अनुभाग के वीरेंद्र सिंह गुसाईं के अनुसार, स्कीइंग के लिए दिसंबर से जनवरी के मध्य पड़ने वाली बर्फबारी महत्वपूर्ण होती है। इस समय स्नो पाउडर अधिक मात्रा में होनी चाहिए। इस पर पाला पड़ने से यह बर्फ ठोस रूप में जमने लगती है, जो जल्दी नहीं पिघलती है।
स्कीइंग के लिए कम से कम चार से पांच फीट बर्फ जमना आवश्यक है। इस पर स्कीइंग करना रोमांचकारी होता है। लेकिन इस सीजन में (दिसंबर 2024-जनवरी 2025) के मध्य हुई बर्फबारी में महज डेढ़ से साढ़े तीन फीट तक बर्फ पड़ी। इस कारण इस बार बहुत कम संख्या में पर्यटक यहां आए। औली में जनवरी से मार्च माह तक स्कीइंग ट्रेनिंग कार्यक्रम चलता है।
वहीं, वर्तमान में चमोली में जो बर्फबारी हुई उसे वेट स्नो कहा जाता है। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। जिस कारण यह जल्दी पिघल जाती है।
औली में ये हैं कोर्स
समयावधि | कोर्स श्रेणी | फीस प्रति व्यक्ति |
---|---|---|
तीन दिन | बेसिक | 8900 रुपये |
सात दिन | सेमी एडवांस | 19900 रुपये |
14 दिन | एडवांस | 39000 रुपये |
वर्ष (दिसंबर-जनवरी), पर्यटकों की संख्या
2016-2017, 419
2017-2018, 123
2018-2019, 270
2019-2021, कोविड काल
2021-2022, 93
2022-2023, 110
2023-2024, 123
2024-फरवरी 2025, 59
औली की विशेषता
चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित औली की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 2800 से 2900 मीटर है। यह स्नो फाल के लिए विख्यात है। औली आने के लिए जोशीमठ से रोप-वे सेवा भी संचालित होती है, जिसकी दूरी करीब चार किमी है। इस रोप-वे को अक्टूबर 1993 में शुरू किया गया था। जून से अक्टूबर के मध्य यहां फूलों की विभिन्न दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
पर्वतारोहण अनुभाग, वरिष्ठ प्रबंधक, वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया
‘चमोली जिले में स्थित औली स्कीइंग के लिए देशभर में विख्यात है। यहां हर वर्ष औसत 150-200 पर्यटक स्कीइंग कोर्स करते हैं। इसमें कई पर्यटक विदेशी भी होते हैं। दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के मध्य कम बर्फ पड़ी, जिससे बेहतर स्कीइंग ट्रैक तैयार नहीं हो पाए हैं। इस कारण बर्फ की स्थिति की जानकारी मिलने के बाद अधिकांश पर्यटकों ने इस सीजन में औली का रूख नहीं किया है। उम्मीद है कि अगले वर्ष अच्छी बर्फ जमने से औली स्कीइंग प्रेमियों से गुलजार रहेगा।
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