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चतुर्मुखी शिवलिंग विग्रह के दर्शन-जलाभिषेक से होती है हर मनोकामना पूर्ण

हरिद्वार के श्रवणनाथ मठ में पशुपतिनाथ महादेव मंदिर है। मान्यता है कि यहां स्थापित चतुर्मुखी शिवलिंग विग्रह के दर्शन-जलाभिषेक से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 10:10 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 10:10 AM (IST)
चतुर्मुखी शिवलिंग विग्रह के दर्शन-जलाभिषेक से होती है हर मनोकामना पूर्ण
चतुर्मुखी शिवलिंग विग्रह के दर्शन-जलाभिषेक से होती है हर मनोकामना पूर्ण

देहरादून, [जेएनएन]: विश्व धरोहर घोषित काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति है हरिद्वार के श्रवणनाथ मठ स्थित पशुपतिनाथ महादेव मंदिर। मान्यता है कि यहां स्थापित चतुर्मुखी शिवलिंग विग्रह के दर्शन-जलाभिषेक से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। नेपाल के अलावा महादेव का इस तरह का मंदिर सिर्फ हरिद्वार में ही है। इसका उल्लेख यहां स्थापित शिलालेख में भी मिलता है। 

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स्थापना का इतिहास

श्रवणनाथ मठ में पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण लगभग 200 वर्ष संवत 1876 में हुआ था। इसे नेपाल के राजा राजेंद्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवणनाथ मठ के तपस्वी महंत श्रवणनाथ गिरि की प्रेरणा, आशीर्वाद और आज्ञा पर कराया था। मंदिर निर्माण में उन्हें उस वक्त के मेवाड़ के राजा राजरतन सिंह का भी साथ मिला था। महादेव के इस मंदिर में भी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की तरह शिवलिंग विग्रह के रूप में महादेव की चतुर्मखी प्रतिमा स्थापित है, जो कसौटी पत्थर से बनी हुई है। इसलिए इसे भी नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की तरह 'पारस' शिवलिंग कहा जाता है। मंदिर निरंजनी अखाड़े के अंतर्गत आता है, निरंजनी अखाड़े के महंत रविंद्रपुरी महाराज बताते हैं कि आज से दो सौ वर्ष पूर्व जब मंदिर की स्थापना हुई थी, उस वक्त इसके निर्माण पर दो लाख रूपए की धनराशि खर्च हुई थी। मेवाड़ नरेश राजरतन सिंह ने मंदिर के नाम पांच हाथी, पांच घोड़े, पांच दुशाले और सोने के दस कड़े श्रवणनाथ मठ को दान में दिए थे।

क्या है शिवलिंग विग्रह

शिवलिंग विग्रह का मतलब इसमें शिवलिंग के चारों तरफ मुख होने के साथ-साथ ऊपर की तरफ भी एक मुख होता है। इसके चारों मुख अपने आप में कुछ महत्व और अलग नाम लिए हुए हैं। शिवलिंग के पूर्व दिशा की ओर बने मुख को 'तत्पुरूषा', दक्षिण की ओर बनें मुख को 'अघोरा', उत्तर की ओर बने मुख को 'वामदेव' और पश्चिम की ओर बने मुख को 'साधयोजटा' कहा जाता है। शिवलिंग के ऊपरी भाग को 'ईशान' कहा जाता है। इन सभी मुखों को चार वेदों के चिह्नों के रूप में वर्णित है।

महत्व

मंदिर के पुजारी रघुवंश ने बताया कि मंदिर में हर वर्ष श्रावण मास की शिवरात्रि को यहां विशेष अनुष्ठान का आयोजन होता है। श्रवणनाथ मठ पशुपतिनाथ महादेव मंदिर को तंत्र साधना के लिए उत्तम स्थान माना जाता है। यह नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का ही स्वरूप है। श्रावण मास में यहां जलाभिषेक करना बेहद फलदायी है। लोग दूर-दूर से यहां इसके निमित्त आते हैं।

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