सर्राफा लूटकांड : लुटेरों को लाखों का सोना मिलने की थी उम्मीद, जानिए पूरी कहानी
शफीक उर हमान की ज्वेलरी शॉप की मुखबिरी और रेकी नईम ने की थी। पुलिस को राहुल ने बताया कि नईम ने कहा था जो दुकान उसने देखी है वहां से लाखों का सोना और मोटा कैश मिलेगा लेकिन लूट में 80 ग्राम सोना और कुछ नकदी ही हाथ लगी।
देहरादून, जेएनएन। शफीक उर हमान की ज्वेलरी शॉप की मुखबिरी और रेकी नईम ने की थी। पुलिस को राहुल ने बताया कि नईम ने कहा था, जो दुकान उसने देखी है, वहां से लाखों का सोना और मोटा कैश मिलेगा, लेकिन लूट में 80 ग्राम सोना और कुछ नकदी ही हाथ लगी।
राहुल की बुलंदशहर जेल में नदीम से मुलाकात हुई थी। जेल से पैरोल पर बाहर आने के बाद भी दोनों का मिलना-जुलना जारी रहा। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के मयूर विहार क्षेत्र में डकैती को अंजाम दिया। इसमें दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। लेकिन, तीन माह पहले कोरोना संक्रमण के चलते पैरोल मिल गई। बाहर आने के बाद नदीम और राहुल ने बड़ी वारदात की योजना बनाई। इसके लिए राहुल ने अपने दोस्त सलीम पहलवान के माध्यम से फैजल से संपर्क किया। लूट की योजना बनाने के लिए तीनों दिल्ली में राहुल के फ्लैट पर मिले। वहां फैजल ने राहुल और नदीम को नईम के बारे में बताया कि वह देहरादून के सेलाकुई में रहता है। उसने लूट के लिए देहरादून के एक सराफ को चिह्नित किया है। जो रोजाना दुकान से सोना व नकदी घर ले जाता है। फिर नईम भी दिल्ली पहुंच गया।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम
राहुल ने बताया कि घटना को अजांम देने के लिये दो बाइक की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने 15 और 16 सितंबर को दिल्ली के आजादनगर मंडी क्षेत्र से दो बाइक चोरी की। लूट के लिए 21 सितंबर की तारीख तय की गई थी। उस दिन उन्होंने बेहट में मिलना निश्चित किया। इसके बाद दोनों बाइक लेकर फैजल और नईम मुजफ्फरनगर आ गए। राहुल और नदीम दिल्ली में ही रुके। 21 सितंबर की सुबह दोनों टैक्सी बुक कर बेहट पहुंचे। वहां एक व्यक्ति से फोन मांगकर फैजल को फोन किया। कुछ देर बाद फैजल और नईम वहां एक बाइक लेकर पहुंचे।
राहुल ने उनसे दूसरी बाइक के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रास्ते में एक बाइक खराब हो गई थी, उसे जलालाबाद में मैकेनिक के पास छोड़ दिया है। ऐसे में 21 सितंबर को घटना टाल दी गई। बेहट से चारों थाना भवन पहुंचे। रास्ते में फैजल ने उन्हें मैकेनिक की दुकान दिखा दी। थाना भवन में नईम ने एक गांव में राहुल और नदीम को अपने रिश्तेदार के घर ठहरा दिया। अगले दिन सुबह आठ बजे दोनों मैकेनिक की दुकान पहुंच गए। वहां राहुल ने मैकेनिक से फोन मांगकर फैजल को कॉल की। दोपहर एक बजे बाइक ठीक होने पर सभी देहरादून के लिए निकले।
सेलाकुई में नईम के कमरे पर सभी शाम साढ़े पांच बजे पहुंचे। देहरादून पहुंचकर चारों शफीक उर रहमान की दुकान के आसपास चक्कर लगाने लगे। लूट को राहुल और नईम ने अंजाम दिया। इससे पहले फैजल और नदीम सेलाकुई लौट गए। सेलाकुई की तरफ जाते वक्त पंडितवाडी में पुलिस चेकिंग करती दिखी तो राहुल और नईम नंदा की चौकी से ऊपर डूंगा वाले रास्ते से जंगल की तरफ चले गए। वहां बाइक छोड़कर पैदल सेलाकुई में नईम के कमरे पर पहुंचे। अगली सुबह फैजल न नदीम भी वहां पहुंच गये। बाइक को वहीं छोड़ दिया और लूटे माल का बंटवारा कर कुल्हाल पहुंचे। कुल्हाल में मजदूरों के समूह में शामिल होकर उन्होंने चेकपोस्ट पार किया।
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