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    लोकसभा अध्यक्ष ने किया पंचायत प्रतिनिधियों के परिचय कार्यक्रम का शुभारंभ, कहा- कार्यपालिका की जवाबदेही को तैयार हो एसओपी

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jan 2021 12:22 AM (IST)

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पंचायतों सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायित्व है कि वे कार्यपालिका के कार्यों पर नियंत्रण रखते हुए उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करें। इसके लिए पूरे देश में एक स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जाना चाहिए जिसका अनुसरण देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं करें।

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    लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने किया पंचायत प्रतिनिधियों के परिचय का शुभारंभ। जागरण

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पंचायतों सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायित्व है कि वे कार्यपालिका के कार्यों पर नियंत्रण रखते हुए उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करें। इसके लिए पूरे देश में एक स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जाना चाहिए, जिसका अनुसरण देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं करें। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक संस्थाएं मजबूत नहीं हो पाएंगी। उन्होंने ग्राम पंचायतों के महत्व को बढ़ाने और यहां भी लोकसभा जैसी चर्चा कराने पर जोर दिया।

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    शुक्रवार को देहरादून में उत्तराखंड की पंचायती राज संस्थाओं से संपर्क और परिचय कार्यक्रम के अंतर्गत 'पंचायतीराज व्यवस्था: विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था का सशक्तीकरण' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने यह बात कही। संसदीय लोकतंत्र प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड), लोकसभा सचिवालय और उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सम्मेलन की शुरुआत करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत का लोकतंत्र सदियों पुराना है। यह व्यवस्था वैदिक काल से चली आ रही है। आजादी के बाद लोकतंत्र को मजबूत, सशक्त, जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं।

    लोकतंत्र की शुरुआत गांवों से होती है। लोकतंत्र पंचायत से लेकर लोकसभा तक मजबूत हो, इसके लिए पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत भी संवैधानिक प्रविधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की बैठकों में सदस्यों की भागीदारी बढ़ाई जाए। इसके लिए बैठकों की सूचना अग्रिम दी जाए। ग्राम पंचायत में विशेष तौर पर उन गांवों का चयन किया जाए, जो पिछड़े हों। यहां बजट के उपयोग के लिए व्यापक चर्चा के बाद निर्णय लिए जाएं। गांव के विकास के लिए जनमत के आधार पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का निर्धारण किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई उत्पाद ऐसे हैं, जो यहीं होते हैं।

    इन्हें बाजार उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे गांवों के भीतर ही रोजगार का सृजन हो सकेगा। प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने का भी काम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से अच्छी जगह कोई और नहीं है। यही कारण है कि वह अपने बड़े कार्यक्रमों की शुरुआत यहीं से करते हैं।

    कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअल शिरकत करने हुए अपने विचार व्यक्ति किए। मुख्यमंत्री के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, सांसद अजय टम्टा, उत्तराखंड के पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडेय और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. धन सिंह रावत ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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