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    UCC पर बड़ा अपडेट, लोक भवन ने लौटाया समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 01:40 PM (IST)

    उत्तराखंड से समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। लोक भवन ने समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक को वापस कर दिया है। विधेयक ...और पढ़ें

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    धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक की त्रुटियां दूर करने को अध्यादेश लाएगी सरकार। प्रतीकात्‍मक

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में 20 अगस्त को पारित समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक को लोक भवन ने वापस लौटा दिया है। विधेयक की धारा-चार में निर्धरित आयु से कम में विवाह पर सजा के प्रविधान का दो बार उल्लेख किए जाने पर लोकभवन ने आपत्ति जताई है।

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    इससे पहले उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन विधेयक को लिपिकीय त्रुटियों के कारण लोक भवन ने वापस लौटाया था। सूत्रों के अनुसार अधिनियम में किए गए सख्त प्रविधानों को लागू करने में देरी न हो, इसके दृष्टिगत सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। धर्मस्व विभाग इसकी तैयारी में जुटा है।

    समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक की धारा-चार के खंड तीन में पुरानी सजा के रहते हुए नई सजा का भी उल्लेख किया गया है। इससे गफलत की स्थिति हो रही है। लोक भवन से लौटे इस विधेयक को गृह विभाग को भी भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार विधेयक की धारा चार के खंड तीन में सजा का जो प्रविधान किया है, वह चाइल्ड मैरिज एक्ट से टकरा रहा था। विधेयक में इस एक्ट का उल्लेख तो हटा दिया गया, लेकिन इससे संबंधित सजा का उल्लेख इसमें रह गया था। माना जा रहा है कि इस सिलसिले में भी सरकार अध्यादेश ला सकती है।

    बोधगम्य एवं सुस्पष्ट कर दोबारा प्रस्तुत करें विधेयक

    बहुचर्चित छांगुर प्रकरण के सामने आने पर धामी सरकार ने राज्य में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन कर इसे बेहद सख्त बनाया। इसमें 10 लाख रुपये तक का जुर्माना के साथ ही आजीवन कारावास तक का प्रविधान किया गया। यह संशोधन विधेयक भी 20 अगस्त को गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में पारित हुआ था। अब राज्यपाल ने अपने संदेश के साथ विधेयक को लौटाया है।

    सूत्रों के अनुसार विधेयक की विभिन्न धाराओं में सजा के प्रविधान में लिपिकीय त्रुटियां हैं, जिससे स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। लोक भवन द्वारा विधेयक को लौटाए जाने के बाद विधायी एवं धर्मस्व विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में लोक भवन के संदेश पर चर्चा हुई, जिसमें कहा गया है कि इस विधेयक को बोधगम्य व सुस्पष्ट कर इसे दोबारा प्रस्तुत करें। अब इस संबंध में कसरत प्रारंभ कर दी गई है।

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