'मुल्क, मजहब, मानवता की जरूरत है समान नागरिक संहिता', नकवी बोले- भारत में 'एक देश, एक कानून' होना चाहिए
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि आजादी का अमृत काल समान नागरिक कानून पर संवैधानिक दिशा निर्देश को अंगीकार करने का अवसर है।

'मुल्क, मजहब, मानवता की जरूरत है समान नागरिक संहिता', नकवी (फोटो- एक्स)
पीटीआई,नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि आजादी का अमृत काल समान नागरिक कानून पर संवैधानिक दिशा निर्देश को अंगीकार करने का अवसर है।
उन्होंने संविधान दिवस के अवसर भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि समान नागरिक कानून, पूरे देश के लिए है। किसी मजहब के लिए नहीं है। 'एक देश, एक कानून' भारत की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की मूल संवैधानिक भावना और समावेशी सोच को सशक्त करने के लिए समान नागरिक संहिता मुल्क, मजहब, मानवता की जरूरत है। संवैधानिक-समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक प्रहार करने वाले न तो मुल्क के हितैषी हैं न किसी मजहब के। भय-भ्रम के गटर पर भरोसे का शटर लगा कर संविधान की ताकत को साजिशी आफत से बचाना हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है।
नकवी ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किए गए भारतीय संविधान की जनतांत्रिक, लोकतांत्रिक व पंथनिरपेक्ष भावना आज भी सशक्त और सुरक्षित है। जबकि दूसरी ओर कभी संसदीय प्रणाली तो कभी राष्ट्रपति प्रणाली के बीच संवैधानिक अनिश्चिता, विरोधाभास और तानाशाही अव्यवस्था के बीच 25 करोड़ आबादी का पाकिस्तान कट्टरता के कबाड़खाने में कैद रहा है।

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